लोकोक्ति | अर्थ व वाक्य में प्रयोग |
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अंधा क्या चाहे दो आँख | इच्छित वस्तु की प्राप्ति होना वर्षों बेरोज़गारी भोगने के बाद एक दिन सुनील को सरकार की ओर से नियुक्ति-पत्र मिल गया। सुनील की मनेच्छा पूर्ण हुई। सच है, अंधा क्या चाहे दो आँख । |
अंधी पीसे कुत्ता खाय | मूर्ख की कमाई दूसरे ही खाते हैं वह कमा तो बहुत रहा है पर इधर-उधर के झगड़ों में सारी कमाई वकीलों पर खर्च कर रहा है। सच ही कहा है अंधी पीसे कुत्ता खाय। |
अंधे की लकड़ी | एक मात्र सहारा रूपचंद के एक ही तो लड़का था और वह भी दुर्घटना में चल बसा। अब तो अंधे की लकड़ी भी नहीं रही, कैसे क्या होगा ! |
अंधे के आगे रोवे अपने भी नैन खोवे | अपात्र से मदद माँगने का व्यर्थ परिश्रम सुनील की आर्थिक स्थिति पहले ही बहुत ख़राब है, और तुम उसी से बार-बार उधार माँगने जाते हो, उससे कुछ मिलनेवाला नहीं। सत्य है, अंधे के आगे रोवे अपने भी नैन खोवे। |
अंधे के हाथ बटेर लगना | बिना मेहनत के ही उपलब्धि होना भिखारी के कटोरे में कोई लॉटरी का टिकिट डाल गया और भिखारी के लॉटरी खुल गई। यह तो वही हुआ कि अंधे के हाथ बटेर लग गई। |
अंधेर नगरी चौपट राजा | कुप्रशासन और अज़ागरूक जनता सब जगह भ्रष्टाचार है, अकर्मण्यता है और न कोई इसे देखनेवाला है न कोई इसके विरुद्ध आवाज़ उठाता है। यहाँ तो अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति है। |
अंधों में काना राजा | अज्ञानियों में अल्पज्ञ भी बुद्धिमान माना जाता है अनपढ़ गाँववालों के बीच पटवारी ही परम विद्वान माना जाता है। सच है, अंधों में काना राजा। |
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता | समूह के द्वारा किया जा सकनेवाला कठिन कार्य अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता हमारी इस भ्रष्ट व्यवस्था को सब मिलकर ही बदल सकते हैं, तुम सोचते हो कि तुम अकेले इसे बदल सकते हो, संभव नहीं है। क्योंकि, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। |
अक्ल बड़ी कि भैंस | शारीरिक बल से बौद्धिक बल अधिक अच्छा होता है किसानों के अत्यधिक परिश्रम करने पर भी पहले अनाज कम पैदा होता था किंतु जबसे प्रशिक्षित युवक कृषि के क्षेत्र में आए हैं तब से कृषि उत्पादन दुगुना हो गया है। सच ही कहा है कि अक्ल बड़ी कि भैंस । |
अटका बनिया देय उधार | स्वार्थी और मजबूर व्यक्ति अनचाहा कार्य भी करता है कारखाने में श्रमिकों की हड़ताल हो जाने के कारण कारख़ाना मालिक अकुशल श्रमिकों को भी दुगुनी-तिगुनी मज़दूरी पर रख रहा है। क्या करे, अटका बनिया देय उधार । |
अधजल गगरी छलकत जाए | अल्प सामर्थ्य वाला व्यक्ति अपनी सामर्थ्य के बारे में बहुत डींग हाँकता है गरीबी भोगने के बाद सोहन के पास थोड़ी-बहुत संपत्ति क्या इकट्ठी हुई कि बात-बात में अपने पैसे का दिखावा करता रहता है। सच ही कहा कि अधजल गगरी छलकत जाए। |
अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोष ? | हम में ही कमज़ोरी हो तो बतानेवालों का क्या दोष अजय का लड़का ही जब आगे बढ़-बढ़कर ख़ुद शराब पीता है और पड़ोसी ताना मारे तो अजय क्या जवाब दे ? जब अपना सोना खोटा तो परखैया का क्या दोष ? |
अपना हाथ जगन्नाथ | स्वयं का काम स्वयं द्वारा ही संपन्न करना उपयुक्त है नौकर से सब्ज़ी मँगाते थे, सड़ी-गली ख़रीद लाता था। अब खुद जाता हूँ तो ताज़ी और सस्ती ले आता हूँ। दूसरों के भरोसे भी काम होता है क्या ? अपना हाथ जगन्नाथ है। |
अपनी करनी पार उतरनी | अपना कार्य ही फलदायक होता है राधा ने अपने पति की मृत्यु के बाद परिवार के भरण-पोषण के लिए दूसरों से सहायता माँगी किंतु मदद न मिलने पर उसने स्वयं ही घरों में काम करके परिवार की जिम्मेदारी उठायी सच ही कहा है अपनी करनी पार उतरनी । |
अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है | अपने घर में, क्षेत्र में तो सब ज़ोर बताते हैं हमारी क्रिकेट टीम की ताक़त का पता तो तब चलेगा जब वह दूसरे देशों की टीमों से भिड़ेगी। हमारे खिलाड़ी देश में तो नाम कमा रहे हैं पर उससे क्या, अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है। |
अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग | अपनी मनमानी करना और एक-दूसरे के साथ तालमेल न रखना राष्ट्रीय एकता की तरफ़ अब कोई नेता ध्यान नहीं देता। प्रादेशिक नेता राष्ट्र को भूलकर अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। |
अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गई खेत | हानि हो गई, हानि से बचने का अवसर चले जाने के बाद पश्चात्ताप करने से कोई लाभ नहीं सुरेश ने परीक्षा के पहले तो मेहनत की नहीं और अब असफल हो जाने पर रो रहा है, अब पछताए क्या होत है जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत । |
अरहर की टट्टी और गुजराती ताला | अनमेल प्रबंध व्यवस्था घर में रखने को ढंग का फर्नीचर नहीं और पाँच हज़ार रुपए किराए का मक़ान ले लिया। यह तो वही हुआ कि अरहर की टट्टी और गुजराती ताला। |
आ बैल मुझे मार | जान बूझकर आफ़त मोल लेना रास्ते में दो बदमाश आपस में लड़ रहे थे। मैंने उन्हें छुड़ाने की कोशिश की तो दोनों मेरे ऊपर ही झपट पड़े। आजकल किसी के झगड़े में बोलना आ बैल मुझे मार की तरह है। |
आँख और कान में चार अँगुल का फ़र्क होना | आँखों देखी सच कानों सुनी नहीं राधेश्याम ने घनश्याम के ख़िलाफ़ सुनी-सुनाई बात के आधार पर न्यायालय में गवाही दे दी सच्चाई सामने आने पर न्यायाधीश ने सीख देते हुए कहा आँख और कान में चार अँगुल का फ़र्क होता है। |
आँख का अंधा गाँठ का पूरा | मूर्ख किंतु संपन्न अनिल में कोई ख़ास अक़्ल नहीं है पर उसकी फैक्ट्री से उसको खूब आमदनी हो रही है। यह तो वही बात है कि आँख का अंधा गाँठ का पूरा। |
आँख का अंधा नाम नयनसुख | गुणों के विपरीत नाम पड़ोसी चूहे से भी डरता है लेकिन नाम है बहादुर सिंह। सच है आँख का अंधा नाम नयनसुख । |
आँख के आगे नाक, सूझे क्या ख़ाक | प्रत्यक्ष तथ्य भी दिखाई ना देना/यथार्थ स्थिति से अनभिज्ञ होना महावीर आर्थिकं स्थिति ठीक न होने पर भी खुले हाथ से ख़र्च किया करता है सच है आँख के आगे नाक, सूझे क्या ख़ाक । |
आँख बची और माल यारों का | अपने सामान से थोड़ा-सा भी ध्यान हटा कि सामान की चोरी हो सकती है आजकल रेल में सफ़र करना मुश्किल है। अपने सामान का हमेशा ध्यान रखो, क्योंकि आँख बची और माल यारों का। |
आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास | बड़ा लक्ष्य निर्धारित कर छोटे कार्य में लग जाना उसने समाचार-पत्र तो इसलिए शुरू किया था कि वह जनता की समस्याओं को बेबाक छापेगा किंतु वह तो नेताओं की झूठी तारीफ़ छापकर पैसा बनाने लगा। यह तो वही हुआ आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास । |
आग लगति झोंपड़ा जो निकले सो लाभ | व्यापक विनाश में जो कुछ बचाया जा सकता है वह लाभ ही है झोपड़ी में आग लगने पर रमेश कुछ ही सामान नष्ट होने से बचा पाया। सच ही है आग लगति झोंपड़ा जो निकले सो लाभ । |
आग लगने पर कुआँ खोदना | विपत्ति आने पर उपाय खोजना शुरू करना विज्ञप्ति निकलने पर तैयारी शुरू कर रहे हो, तुम तो आग लगने पर कुआँ खोदने जैसा काम कर रहे हो। |
आगे कुआँ पीछे खाई | दोनों ओर संकट नरेश लड़की की शादी में रुपए न लगाए तो रिश्ता टूटता है और रुपए खर्च करे तो कर्ज में डूबता है। उसके तो आगे कुआँ है और पीछे खाई है। |
आगे नाथ न पीछे पगहा | पूर्णतः अनियंत्रित कमल के माता-पिता तो पहले ही गुज़र गए थे अब यहाँ से उसके बड़े भाई का भी तबादला हो गया। अब तो वह रहा-सहा भी बिगड़ जाएगा। अब कौन है उसको टोकनेवाला अब तो आगे नाथ न पीछे पगहा। |
आधा तीतर आधा बटेर | अनमेल योग हम एक ओर तो महिलाओं को शिक्षित करके पुरुषों के समान ही नौकरियाँ भी करवाना चाहते हैं, दूसरी तरफ़ उन्हें घरों में परंपरागत गृहिणियों की तरह बने रहने देना चाहते हैं। दरअसल हमारा दृष्टिकोण आधा तीतर आधा बटेर है। |
आधी छोड़ एक को ध्यावे, आधी मिले न सारी जावे | लोभ में सहज रूप से उपलब्ध वस्तु को भी त्यागना पड़ सकता है नरेश ने आर.ए.एस. परीक्षा उत्तीर्ण कर ली किंतु आई.सी.एस. की तैयारी के चक्कर में आर.ए.एस. में जाने का अवसर भी खो दिया। बाद में नरेश का आई.सी.एस. में भी चयन नहीं हो सका। इसे ही तो कहते हैं आधी छोड़ एक को ध्यावे, आधी मिले न सारी जावे। |
आम के आम गुठलियों के दाम | दुहरा फ़ायदा कक्षा में पढ़ाने के लिए मैंने नोट्स तैयार किए थे, आगे चलकर मैंने उन्हीं को पुस्तक के रूप में छपवा दिया। मेरे तो आम के आम और गुठलियों के दाम हो गए। |
आसमान से गिरा खजूर में अटका | एक आपत्ति के बाद दूसरी आपत्ति का आ जाना चोरों ने महेश की पत्नी का सारा जेवर चुरा लिया, पुलिस ने जैसे-तैसे चोरों को पकड़ा तो ज़ेवर पुलिसवालों ने दबा लिए। महेश तो बेचारा आसमान से गिरा और खजूर में अटका । |
इधर कुआँ उधर खाई | दोनों तरफ़ मुसीबत माँ व पत्नी के झगड़े में रमेश किसका पक्ष ले उसके लिए तो इधर कुआँ उधर खाई है। |
इन तिलों में तेल नहीं | किसी भी लाभ की संभावना न होना पुनीत ने घाटे में चल रही फैक्ट्री के लिए सोच लिया कि इन तिलों में तेल नहीं है और उसने बाज़ार से ऋण लेकर अपना काम चलाया। |
इमली के पात पर दंड पेलना | सीमित साधनों से बड़ा कार्य करने का प्रयास करना आपको कोई जानता नहीं, आपके पास पैसा है नहीं, चुनाव लड़ने का अनुभव है नहीं और सांसद बनने के लिए खड़े हो । आप तो इमली के पात पर दंड पेल रहे हो। |
ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया | संसार में व्याप्त भिन्नता प्रकृति भी विचित्र है, असम में बाढ़ आती है और जैसलमेर में पानी की बूँद भी नहीं टपकती। यही तो है ईश्वर की माया, कहीं धूप कहीं छाया। |
उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई | बेशर्म आदमी पर कोई प्रभाव नहीं डाल सकता उसका झूठ कई बार पकड़ा गया अब कितना ही समझाओ उस पर असर होनेवाला नहीं। जब उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई । |
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे | दोषी का निर्दोष पर दोषारोपण करना कुछ नेताओं ने पहले तो सांप्रदायिक दंगा करवा दिया और फिर प्रशासन को दोष देने लगे। इसी को कहते हैं उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे । |
उल्टे बाँस बरेली को | जहाँ जो चीज़ उपलब्ध हो, पैदा होती हो, उल्टे वहीं पर वह वस्तु पहुँचाना सुषमा के हिमाचल में सेबों के बाग है और जब नेमिका छुट्टियों में उससे मिलने गई तो बच्चों के लिए सेबों का टोकरा ही ले गयी सच है उल्टे बाँस बरेली को। |
ऊँची दुकान फीका पकवान | प्रदर्शन तो अधिक और सार की बात कम अंग्रेज़ी स्कूलों में चमक-दमक तो अधिक होती है किंतु बच्चों का वास्तविक विकास करने पर ध्यान |
ऊँट किस करवट बैठता है | ऐसी घटना की प्रतीक्षा जिसका अनुमान लगाना असंभव है – यह वर्ष तो बर्बाद हो गया। यदि अगले वर्ष मानसून ठीक रहा तो अनाज सस्ता हो सकता है। अब अगले वर्ष की कौन कहे, देखिए ऊँट किस करवट बैठता है। |
ऊँट की चोरी और झुके-झुके | गुप्त न रह सकनेवाले कार्य को गुप्त ढंग से करने का प्रयास करना आप मुख्य सड़क पर दो मंज़िल का मकान बनाना चाहते हैं ओर वह भी विकास प्राधिकरण से बचकर, ऊँट की चोरी और झुके-झुके। |
ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना | बेमेल, असंगत काम करना अच्छी पढ़ी-लिखी बहू और अनपढ़ दूल्हा इसे ही कहते हैं, ऊँट के गले में बिल्ली बाँधना । |
ऊँट के मुँह में जीरा | आवश्यकता की तुलना में बहुत कम पूर्ति तीन करोड़ लोग बेरोज़गार हैं और सरकार ने पाँच हज़ार नए पद सृजित किए हैं, यह तो ऊँट के मुँह में जीरा है। |
एक अनार सौ बीमार | वस्तु की पूर्ति की तुलना में माँग अधिक होना) घर में कमानेवाला तो एक और खानेवाले दस। सब अपने-अपने लिए कुछ न कुछ माँग करते ही रहते हैं। किस-किस के लिए क्या किया जाए, यहाँ तो एक अनार और सौ बीमार हैं। |
एक आँख में रोवे, एक आँख में हँसे | दुःख का दिखावा व कपटपूर्ण व्यवहार) रवि अपने छोटे भाई दीपक से मन ही मन ईर्ष्या रखता है जब दीपक के जीवन में आर्थिक संकट आया तो रवि उसके समक्ष मदद करने का दिखावा करने लगा। सच ही कहा है एक आँख में रोवे, एक आँख में हँसे । |
एक और एक ग्यारह होते हैं | संघ में बड़ी शक्ति है) दोनों भाई आपस में लड़ो मत। दोनों में एकता रहेगी तो परिवार की धाक जमी रहेगी। एक और एक ग्यारह होते हैं। |
एक तो करेला (गिलोय) और दूसरा नीम चढ़ा | एक साथ दो-दो दोष, प्रतिकूलताएँ हमारे गाँवों में एक तो जातिगत कट्टरता बहुत है और दूसरी अशिक्षा भी है। एक करेला (गिलोय) और दूसरा नीम चढ़ा, इसलिए समाज में परिवर्तन बहुत कठिन है। |
एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी | ग़लती करना एवं ग़लती स्वीकार न कर उल्टे रोब दिखाना) भरत ने एक तो परीक्षा नहीं दी और जब शिक्षक ने उसे समझाने का प्रयास किया तो वह अभद्रता पर उतर आया इसे ही कहते है एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी। |
एक पंथ दो काज | एक प्रयत्न से दो काम हो जाना) दिल्ली में मेरे दोस्त की शादी और मेरा नौकरी का साक्षात्कार एक ही दिन है। मेरे तो एक पंथ दो काज हो जाएँगे। |
एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है | एक बदनाम व्यक्ति अपने साथ के सभी लोगों को बदनाम करवा देता है) देश के कुछ खिलाड़ियों ने ओलंपिक गाँव में अशिष्टता करके सारे भारतीय खिलाड़ियों को लांछित करवा दिया। सच है एक मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है। |
एक म्यान में दो तलवारें नहीं आ सकतीं | एक ही स्थान पर दो समान वर्चस्व के प्रतिद्वंद्वी नहीं रह सकते इस एक ही मोहल्ले में दो दादाओं में अक्सर झगड़ा होता रहता था। आख़िर एक दिन एक ने दूसरे को ख़त्म कर ही दिया। एक ही म्यान में दो तलवारें नहीं आ सकतीं। |
एक हाथ दे दूसरे हाथ ले | भलाई के बदले भलाई मिलना इधर प्रभा ने अपने देवर की मृत्यु के बाद उसके परिवार को सहारा दिया उधर उसके बड़े पुत्र मंथन की उच्च पद पर नियुक्ति हो गयी सच ही है एक हाथ दे दूसरे हाथ ले। |
एक हाथ से ताली नहीं बजती | केवल एकपक्षीय सक्रियता से कार्य पूरा नहीं होता मैं तो झगड़ा निपटाकर उससे समझौता करना चाहता हूँ किंतु वह भी तो तैयार हो। एक हाथ से ताली नहीं बजती है। |
एके साधे सब सधे | एक-एक करके कार्य करने पर क्रमशः सब कार्य ठीक होना अपने आवारा मित्रों का साथ छोड़ते ही सौरभ का मन पढ़ाई में लगने लगा और वह कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर शिक्षकों का स्नेह पात्र बन गया और परिवार में सभी का प्रिय हो गया सच ही कहा है, एके साधे सब सधे । |
ऐरे-गैरे नत्थू खैरे | अनुपयुक्त / बेकार सामर्थ्यहीन व्यक्ति सुमति अपने सहयोगी स्वभाव के कारण ऐरे-गैरे नत्थू खैरे की भी खुले दिल से सहायता करती है। |
ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना | कठिन काम को हाथ में ले लेने पर आनेवाली बाधाओं से विचलित न होना जब पर्वतारोहण प्रारंभ ही कर दिया है तो अब धूप, बरसात, शीत की परवाह नहीं करनी चाहिए। जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना । |
ओछे के घर जाना, जनम जनम का ताना | छोटा व्यक्ति किसी के लिए कोई काम करता है, करता भी है तो वह जीवनपर्यंत ताने भी देता रहता है दिलीप ने अपने मित्र महीप की एक बार परीक्षा की फीस क्या भर दी अब वह जब-तब उसे इस बात का उलाहना दिया करता है सच ही है ओछे के घर जाना, जनम जनम का ताना। |
ओस चाटे प्यास नहीं बुझती | अल्प मात्रा में प्राप्ति से बड़ी आवश्यकता पूरी नहीं होती रामदेव के परिवार में बींस सदस्य थे किंतु वेतन कम होने के कारण वह परिवार का पूरा खर्च नहीं उठा पाता था सच ही है ओस चाटे प्यास नहीं बुझती । |
कंगाली में आटा गीला | अभाव में भी अभाव छोटे व्यापारी इस समय पहले से ही आर्थिक तंगी में चल रहे थे, अचानक नोटबंदी एवं जी.एस.टी. की मार ने कंगाली में आटा गीला कर दिया। |
ककड़ी-चोर को फाँसी की सज़ा नहीं दी जा सकती | छोटे से अपराध के लिए बड़ा दंड उचित नहीं बच्चे ने स्कूल में फूल तोड़ लिया तो उसे स्कूल से ही निष्कासित कर दिया। कहीं क़कड़ी-चोर को फाँसी की भी सज़ा दी जाती है क्या ! |
कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना | समय समान नहीं रहता कभी नफ़ा हो जाता है तो कभी नुकसान भी, इसलिए जो मिले उसी में संतुष्ट रहना चाहिए रंजन का व्यापार लंबे समय से बहुत अच्छा चल रहा था परंतु अचानक उसे बहुत बड़ा घाटा हुआ तब पिता ने समझाया कि बेटा कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना। |
कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर | स्थितियों का एकदम विपरीत एवं सकारात्मक परिवर्तन पत्नी बीमार थी तो पति सेवा कर रहे थे, पति के बीमार होने पर पत्नी सेवा करने लगी। ऐसे ही चलता है संसार कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। |
कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती | सोच विचार कर बात करनी चाहिए क्योंकि बुरी बात कह देने पर उससे होनेवाले नुकसान से बचा नहीं जा सकता परशुराम ने क्रोध में आकर राम को बुरा-भला कह दिया लेकिन जब उन्हें पता चला कि राम साक्षात् ईश्वर का प्रतिरूप हैं तब लक्ष्मण जी ने कहा कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। |
कर ले सो काम और भज ले सो राम | समय पर जो कर लिया जाए वही अपना है जीवन का क्या ठिकाना इसलिए इस ज़िंदगी में कर ले सो काम और भज ले सो राम । |
कर सेवा, खा मेवा | अच्छा काम करने का परिणाम अच्छा ही निकलता है) - राहुल जब सुबह-सुबह घर से निकलता था वह साथ में दो रोटियाँ ले जाता था और रास्ते में गाय दिखने पर उसे खिला देता था जिससे उसका दिन अच्छा जाता है कर सेवा, खा मेवा। |
करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े | समय ख़राब हो तो किसी-न-किसी प्रकार का नुकसान होता ही है) सुमित का जब बुरा वक्त आया तो उसका पूरा जीवन अस्त-व्यस्त हो गया एक ही माह के भीतर उसकी पत्नी की मृत्यु हो गयी, स्वयं का एक्सीडेंट हो गया और व्यापार में उसे मित्र ने धोखा दे दिया सच ही है करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। |
कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली | दो असमान सामर्थ्यवाले व्यक्तियों की तुलना सतीश अपनी मेहनत के बल पर उच्च पद प्राप्त करने में सफल हो गया परंतु उसे तनिक भी अभिमान नहीं हुआ और वह घर लौटने पर सहज भाव से अपने निर्धन मित्र रमेश से मिलने चला गया उसे देखते ही गाँव वालों ने कहा कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली। |
कही खेत की, सुनी खलियान की | कुछ का कुछ सुनना राम हमेशा ही जल्दबाजी में रहता है उसकी भाभी ने उससे खाने का सोडा मँगवाया और वह बाज़ार से खाना बँधवाकर ले आया सच ही कहा है कही खेत की, सुनी खलियान की। |
का वर्षा जब कृषि सुखाने | हानि हो चुकने के बाद उपचार करने से क्या लाभ फ़ैक्ट्री पूरी जल चुकने के बाद फायर ब्रिगेड पहुँची, का वर्षा जब कृषि सुखाने ! |
कागज़ की नाव नहीं चलती | छद्मपूर्ण बात बहुत दिनों तक नहीं टिकती संगीता लंबे समय तक कॉलेज में बीमारी का बहाना करके लाभ प्राप्त करती रही परंतु शीघ्र ही उसका सत्य सामने आ गया सच ही है कागज़ की नाव नहीं चलती । |
कागहि कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग | दुर्जन की प्रकृति खूब प्रयत्न करने पर भी नहीं बदलती केदार शुरू से ही डरपोक था। नौकरी प्राप्त करने के लिए सेना में भर्ती हो गया। किंतु ज्योंही वह रणक्षेत्र में पहुँचा तो बमों के धमाकों से युद्ध छोड़कर भाग आया। कौन किसी का स्वभाव बदल सकता है। कागहि कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग। |
काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती | झूठ बार-बार नहीं चलता एक राजनीतिक दल की सरकार वादा करके भी काम नहीं कर पाई, अब दुबारा थोड़े ही जीतेगी ! काठ की हाँड़ी बार-बार नहीं चढ़ती। |
कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुक | किसी दोष से युक्त होने पर कठिनाइयाँ आती ही रहती हैं महिमा पढ़ने में कमज़ोर थी, परीक्षा के दिन नज़दीक आए तो बीमार हो गई। बीमारी में ही परीक्षा देने जा रही थी कि रास्ते में उसका एक्सीडेंट हो गया और ढंग से परीक्षा भी नहीं दे पाई। बस कानी के ब्याह में कौतुक ही कौतुक हो गए। |
काबुल में क्या गधे नहीं होते | कुछ-न-कुछ बुराई सब जगह होती है तुम व्यर्थ भ्रम मत पालो कि अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ाने से बेटा फेल नहीं होगा अरे भाई क्या काबुल में गधे नहीं होते । |
काम प्यारा है, चाम प्यारी नहीं | अपनी चिंता न कर कार्य के प्रति समर्पण – फौजी देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं, उन्हें काम प्यारा है, चाम प्यारी नहीं। |
काला अक्षर भैंस बराबर | अनपढ़ होना अत्यंत गरीबी से ग्रस्त रहने के कारण उसके बच्चे स्कूल का मुँह न देख सके। उसके बच्चों के लिए तो अब काला अक्षर भैंस बराबर है। |
कुएँ की मिट्टी कुएँ में ही लगती है | एक जगह की कमाई का वहीं पर ख़र्च होना रमेश की पूरी कमाई फैक्ट्री में ही पूरी हो जाती है इसलिए महेश उससे हमेशा कहता है कि कुएँ की मिट्टी कुएँ में ही लगती है। |
कुत्ता भी दुम हिलाकर / घुमाकर बैठता है | सफ़ाई सभी को पसंद होनी चाहिए मनु की माता उसकी गंदगी में रहने की आदत से परेशान होकर उसे प्रतिदिन डाँटती है और कहती है कि कुत्ता भी दुम हिलाकर / घुमाकर बैठता है। |
कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी | दुष्ट दुष्टता नहीं छोड़ता। बुरी प्रकृतिवाला व्यक्ति अपना बुरा स्वभाव नहीं छोड़ता सुनील के पिता ने उसकी सिगरेट पीने की आदत को दूर करने की हर संभव कोशिश कर ली परंतु सफलता नहीं मिली। सच ही है कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। |
कुत्ते की मौत मरना | बुरी मौत मरना भारतीय सीमा में घुसे आतंकवादियों को भारतीय सैनिकों ने ढूँढ़ ढूँढ़ कर निशाना बनाया, सभी आतंकवादी कुत्ते की मौत मारे गए। |
कै हंसा मोती चुगै, कै भूखा रह जाय | प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है, स्वाभिमान नही छोड़ता संध्या दोपहर के भोजन में फल खाना पसंद करती है और फल न मिलने पर भूखी ही रह जाती है। सच है कै हंसा मोती चुगै, कै भूखा रह जाय। |
कोऊ नृप होइ हमें का हानी | किसी भी परिवर्तन के प्रति उदासीनता भारत की जनता ने सभी राजनीतिक दलों की सरकारों को परख लिया, ग़रीब की स्थिति में कोई ठोस परिवर्तन नहीं लाता, इसलिए चुनावों के समय ग़रीब लोग यही सोचते हैं कि कोऊ नृप होय हमें का हानी। |
कोयले की दलाली में हाथ काले | बुरे कार्य से जुड़ने पर बुराई मिलती ही. है वकील साहब यदि आप बदमाशों की पैरवी करेंगे तो आपकी भी बदनामी होगी। कोयले की दलाली में तो हाथ काले होंगे ही। |
कौआ चले हंस की चाल | किसी बुरे व्यक्ति द्वारा अच्छे व्यवहार का दिखावा करना) कल तक सरेआम अपराध करनेवाला व्यक्ति मुख्यमंत्री हो गया और अब भाषण देता है कि अपराध नहीं करना चाहिए। इसे ही तो कहते हैं कौआ चले हंस की चाल । |
क़ब्र में पाँव लटकाना | मरणासन्न व्यक्ति सीताराम क़ब्र में पाँव लटका कर बैठा है परंतु उसके शौक-मौज अभी तक कम नहीं हुए। |
खग जाने खग ही की भाषा | सब अपने-अपने संपर्क के लोगों का हाल समझते हैं) – तुम्हारे केस में न्यायालय में वकीलों की बड़ी बहस हुई। तुम भी तो वहाँ थे, क्या-क्या बातें हुईं ? भई हमारे पल्ले कुछ नहीं पड़ा, खग जाने खग ही की भाषा । |
खरबूज़े को देखकर खरबूज़ा रंग बदलता है | एक को देखकर दूसरे में परिर्वतन आता है) अरे तुम तो बड़े मेहनती थे, सरकारी नौकरी मिलते ही तुम भी औरों की तरह निकम्मे हो गए। सच है खरबूज़े को देखकर खरबूज़ा रंग बदलता है। |
खरी मजूरी चोखा काम | पारिश्रमिक सही देने पर काम भी अच्छा होता है) तुम मज़दूरों को न पूरा पैसा देते हो न समय पर देते हो, इससे तुम्हारी फ़ैक्ट्री में काम बहुत धीमा है। तुम हमेशा याद रखो कि खरी मजूरी चोखा दाम । |
खाई खोदे और को, ताको कूप तैयार | दूसरों के लिए बुरा करनेवालों का परिणाम और भी ज़्यादा बुरा होता है) मोहन ने अपने मित्र सोहन के साथ साझेदारी व्यापार में ग़बन कर धोखा दिया और वह जब ग़बन की राशि को लेकर खुशी-खुशी घर लौट रहा था तभी मार्ग में लुटेरों ने उसे लूट लिया सच ही है खाई खोदे और को, ताको कूप तैयार। |
खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में करना | निठल्ला व्यक्ति कुछ-न-कुछ काम करने में सक्रियता दिखाता रहता है) मनोहर को काम धाम तो कुछ है नहीं और सारे दिन इधर से उधर घूम कर व्यस्त होने का ढोंग करता है सच है खाली बनिया क्या करे, इस कोठी का धान उस कोठी में करना। |
खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे | असफलता से लज्जित होकर क्रोध करना) सुरेश ने मेहनत तो की नहीं थी इसलिए असफल हो गया। लेकिन अब कहता है कि उसको तो परीक्षक ने जानबूझ कर कम अंक दिए। इसे ही तो कहते हैं खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे । |
खुदा गंजे को नाखून नहीं देता | अनधिकारी एवं दुर्भावी व्यक्ति को अधिकार नहीं मिलता) अखिल तो है ही बेईमान, अगर उसको मंत्रिमंडल में ले लिया गया होता तो जनता को लूट खाता। सच ही है खुदा गंजे को नाखून नहीं देता। |
खुशामद से ही आमद है | चापलूसी करके ही उपलब्धि हासिल करने की सोच रखना) मोहिनी अपनी मालकिन की सभी सही ग़लत बातों को सहर्ष स्वीकार कर लेती है जिसके कारण उसकी मालकिन भी उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा कर देती है तो सच ही है खुशामद से ही आमद है। |
खूँटी के बल बछड़ा कूदे | दूसरे के बल पर अपना बल दिखाना) — धनीराम अपने भाई मणिराम के पुलिस अधिकारी होने का रोब दिखाकर गाँववालों से धन ऐंठता रहता है किसी ने ठीक ही कहा है खूँटी के बल बछड़ा कूदे । |
खेल खिलाड़ी का, पैसा मदारी का | काम कोई करे और लाभ कोई उठाए) किसान वर्ग दिन-रात कड़ी मेहनत कर अच्छी फसल उत्पन्न करता है किंतु जब वह उत्पादित माल को मंडी में बेचने को जाता है तो बिचौलियों के प्रभाव के कारण पूरा लाभ नहीं मिल पाता सच ही है खेल खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। |
खोटा बेटा और खोटा पैसा भी समय पर काम आता है | अनुपयोगी व्यक्ति या वस्तु भी कभी-न-कभी उपयोगी बन ही जाता है) – रामलाल का बेटा भरत वैसे तो बहुत आलसी और निठल्ला लड़का है, लेकिन जब रामलाल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा तब वही निठल्ला बेटा काम आया सच ही है खोटा बेटा और खोटा पैसा भी समय पर काम आता है। |
खोदा पहाड़ और निकली चुहिया | अधिक परिश्रम पर लाभ कम) – मोहल्ले में चोर-चोर की आवाजें आने लगीं। सब लोग जाग गए, घर-घर की तलाशी ली और रात भर पहरा दिया। सुबह मालूम पड़ा कि एक पागल द्वारा अचानक आवाज़ लगाकर भाग जाने से यह सब-कुछ हुआ। ये तो वही हुआ कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया। |
गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास । | (सिद्धांतहीन, अवसरवादी व्यक्ति) – चुनाव आते ही टिकिट पाने के लिए नेता दल बदलने लगे। गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनादास । |
गए रोजा छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी | (छोटा सुख प्राप्त करने के प्रयत्न में बड़ा दुःख झेलना) – रमेश अपनी माँ से खेलने की इजाज़त लेने गया और उसकी माँ ने उसे बगीचा साफ करने का काम सौंप दिया। गए रोजा छुड़ाने नमाज़ गले पड़ी। |
ग़रीब की जोरू सब गाँव की भौजाई | (कमज़ोर व्यक्ति का लाभ सब उठाते हैं) – अनाथ मोहन को सब गाँव वाले अपना-अपना काम बताकर चले गए। ग़रीब की जोरू सब गाँव की भौजाई । |
ग़रीबों ने रोज़े रखे तो दिन बड़े हो गए | (कमज़ोर कोई अच्छा प्रयत्न भी करे तो कोई-न-कोई बड़ा संकट आ ही जाता है) – राकेश ने बीमारी से ठीक होकर पढ़ाई शुरु की थी तभी कुछ दिनों बाद पाठ्यक्रम ही बदल गया। ग़रीबों ने रोज़े रखे तो दिन बड़े हो गए। |
गाय को अपने सींग भारी नहीं लगते | (अपने लोगों की ज़िम्मेदारी कष्टकारी नहीं होती) – विष्णु को अपना नालायक पुत्र लोगों की शिकायत के बावजूद भी अच्छा लगता है। गाय को अपने सींग भारी नहीं लगते । |
गुड़ खाए मर जाए तो ज़हर देने की क्या ज़रूरत | (यदि शांतिपूर्वक ही कोई कार्य हो जाए तो कठोर व्यवहार की आवश्यकता नहीं) - अगर केवल पूछने-ताछने से ही वह रुपए चुराने की बात मान ले तो फिर मारपीट की क्या आवश्यकता। कोई गुड़ खाए ही मर जाए तो ज़हर देने की क्या ज़रूरत । |
गुड़ न दे पर गुड़ की सी बात तो करे | (यदि किसी की मदद नहीं की जा सके तो कम से कम मधुर व्यवहार तो देना चाहिए) - अगर वह मुझे रुपए उधार नहीं देना चाहता था तो कोई बात नहीं, किंतु वह प्रेम से बात तो करता। भाई, गुड़ न दे पर गुड़ की सी बात तो करे। |
गुरु गुड़ ही रह गया, चेला शक्कर हो गया | (गुरु की तुलना में चेले का अधिक प्रगति करना) – रामकृष्ण जी बहुत बड़े साधक थे किंतु प्रसिद्धि स्वामी विवेकानंद की हुई। गुरु गुड़ ही रह गया, चेला शक्कर हो गया। |
गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है | (दोषी की संगति से निर्दोष भी दंडित हो जाता है) – कुछ लोग पुलिस पर पत्थर फेंक कर घरों में घुस गए। पुलिस ने घरों की तलाशी ली और सभी |
गोद में छोरा, शहर में ढिंढोरा | पास होने पर भी अज्ञानवश दूर-दूर तक तलाशना) — मृग की नाभि में कस्तूरी विद्यमान रहता है किंतु मृग उसे वन-वन भटककर खोजता है। गोद में छोरा, शहर में ढिंढोरा। |
घर आया नाग न पूजिए, बाम्बी पूजन जाय | स्वतः आए सुअवसर का लाभ न उठाकर फिर उसको प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करना) प्रदीप के लिए सुयोग्य कन्या का रिश्ता आया किंतु उसने दहेज के लालच में वह रिश्ता ठुकरा दिया अब प्रदीप किसी भी लड़की से विवाह करने के लिए तैयार है। घर आया नाग न पूजिए, बाम्बी पूजन जाय। |
घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध | परिचितों की अपेक्षा दूर के अपरिचितों को अधिक महत्त्व दिया जाता है) - हमारे देश में एक से एक विद्वान हैं पर उनकी इज़्ज़त नहीं होती और विदेश के साधारण व्यक्ति को भी हम परम विद्वान मानते हैं। सच है, घर का जोगी जोगना आन गाँव का सिद्ध। |
घर का न घाट का | न इधर का न उधर का, कहीं का नहीं) - विवेक को अमेरिका से नौकरी का प्रस्ताव आया तो उसने वर्तमान नौकरी छोड़ दी लेकिन कुछ कारणों से अमेरिका का प्रस्ताव रद्द हो गया। अब विवेक घर का रहा न घाट का। |
घर का भेदी लंका ढाए | घर का रहस्य जाननेवाला बड़ी हानि पहुँचा सकता है) - हमारी ही सेना के केवल एक सिपाही ने शत्रु को हमारी सेना के व्यूह की जानकारी दे दी और उससे शत्रु ने हमारे आक्रमण को विफल कर दिया। इसे ही कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए। |
घर की मुर्गी दाल बराबर | सहज सुलभ वस्तु का कोई महत्त्व नहीं होता) - घर में बड़ा भाई अच्छा डॉक्टर है पर बीमार होने पर उसे कोई नहीं दिखाता और बाहर के मामूली डॉक्टर से इलाज़ करवाया जाता है। यही तो है घर की मुर्गी दाल बराबर । |
घर खीर तो बाहर खीर | घर में संपन्नता और सम्मान है तो बाहर के लोगों से भी यही मिल जाता है) - ठाकुर दीनानाथ आर्थिक रूप से सम्पन्न परिवार से तो हैं ही, साथ ही गाँव में सभी उनके निर्णयों को मानते हैं। घर खीर तो बाहर खीर । |
घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने | अभाव होने पर भी झूठा दिखावा करना) - जितेंद्र की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है किंतु सभी पर अपना प्रभाव (रुतबा) डालने के लिए वह मुंबई हवाईजहाज़ से गया। घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने । |
घायल की गति घायल जाने | एक पीड़ा से गुज़रा हुआ व्यक्ति ही दूसरे की पीड़ा को समझ सकता है) - राजू अनाथ था और सफल होने के बाद उसने एक अनाथ बच्चे को गोद ले लिया। घायल की गति घायल जाने । |
घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम | अच्छे परिणाम का कारण तो कुछ और हो और यश किसी और को मिले) - देवरानी सीमा ने सारा घर व्यवस्थित किया और मेहमानों ने कहा कि जेठानी ने बहुत बढ़िया घर संभाल रखा हैं। घी सँवारे काम, बड़ी बहू का नाम । |
घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्या | यदि निर्वाह के लिए भी कमाई करने में लिहाज़ बरता जाए तो जीवन कैसे चलेगा) - दिनेश अपनी दुकान से दोस्तों को उधार देता गया |
घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा | तुच्छ व्यक्ति अपनी सामर्थ्य बढ़ाएगा तो उससे अपना हो भला करेगा - रमेश पढ़ाई में बहुत मेहनत करेगा तो वह ही अच्छे अंकों से पास होगा। घोड़े की दुम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा। |
घोड़े को लात, आदमी को बात | दुष्ट के साथ कठोरता पूर्ण और सज्जन से नम्रता का व्यवहार - ठाकुर गजेंद्र सिंह ने शराबी रमेश को तो गाँव से बाहर निकाल दिया लेकिन रमेश के सज्जन एवं गरीब पिता की आर्थिक रूप से मदद करते रहे। घोड़े को लात, आदमी को बात । |
चंदन की चुटकी भली गाड़ी भरा न काठ | उपयुक्त गुणवाली वस्तु तो थोड़ी-सी भी अच्छी है और गुणरहित वस्तु अधिक मात्रा में भी निरर्थक है - सोहन के चार लड़के हैं किंतु किसी दीन के नहीं और अशोक के एक लड़का ही उसके घर को रोशन किए हुए है। सचमुच चंदन की चुटकी भली गाड़ी भरा न काठ । |
चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंग | भले लोगों पर बुरों की संगति का असर नहीं पड़ता - अनिल शराब की दुकान चलाता है, रोज़ उसका शराबियों से वास्ता पड़ता है किंतु अनिल ने कभी शराब नहीं पी। इसे ही कहते हैं चंदन विष व्यापै नहीं लिपटे रहत भुजंग। |
चंद्रमा को भी ग्रहण लगता है | भले लोगों के भी बुरे दिन आ सकते हैं – अजय ने तो हमेशा दूसरों का भला ही भला किया है किंतु आज़ लोग उसके भी पीछे पड़े हुए हैं। लेकिन उसे धैर्य रखना चाहिए क्योंकि चंद्रमा को भी ग्रहण लगता है। |
चट मँगनी पट ब्याह | शीघ्रता से अच्छा कार्य संपन्न हो जाना) - अध्ययन पूरा करते ही उसी वर्ष मोहन का सरकारी सेवा में चयन हो गया। यह तो वही हुआ कि चट मँगनी पट ब्याह । |
चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात | थोड़े समय का सुख, अधिक समय का दुःख) – ग़रीब तो शादी-विवाह-त्योहार पर थोड़ा खुश हो लेता है, बाक़ी दिन तो उसे कष्ट में ही काटने होते हैं। उसकी ज़िंदगी तो ऐसी ही है जैसे- चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात । |
चिकना मुँह पेट खाली | दिखने में संपन्नता पर वास्तव में अभाव) – कच्ची बस्ती में रहने वाला प्रकाश ऑफिस में बन-ठन कर जाता है। चिकना मुँह पेट खाली। |
चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता | बेशर्म पर कोई अच्छा असर नहीं होता) - देर से आने पर सुनील को रोज़ डाँट पड़ती है किंतु वह जल्दी आने की कोशिश ही नहीं करता। सच ही कहा है कि चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता। |
चिराग तले अँधेरा होना | अपने नज़दीकी व्यक्ति के अवगुण न देख पाना) - पवन के पिता नशामुक्ति आंदोलन चला रहे हैं जबकि पवन रोज़ नशा करता है। ये तो चिराग तले अँधेरा है। |
चुपड़ी और दो-दो | अच्छी चीज़ और वह भी बहुतायत में) - देवदीप का न केवल आई.सी.एस. में चयन हो गया बल्कि उसे अपने प्रदेश का कैडर भी मिल गया। यही तो है चुपड़ी और दो-दो । |
चोर की दाढ़ी में तिनका | दोषी अपने व्यवहार में ही दोष करने का संकेत दे देता है) - विभा से प्लेट टूट गई। किसी को पता नहीं लगा किंतु विभा स्वयं ही कह उठी कि माँ आज रसोई में बिल्ली आई थी क्या, कुछ टूटने की आवाज़ आई थी ? विभा की माँ ने कहा कि कोई बिल्ली नहीं आई, प्लेट तुझसे ही टूटी है क्योंकि तुम्हीं कह रही हो बिल्ली की बात चोर की दाढ़ी में तिनका । |
चोर से कहे चोरी कर शाह से कहे जागता रह/ चोर को कहे लाग साहूकार को कहे जाग | दोनों विरोधी पक्षों से संपर्क रखने की चालाकी) - राजनेता लड़कों से तो उपद्रव करने के लिए कहते हैं और उधर पुलिस से उनको गिरफ़्तार करवा लेते हैं ताकि लड़कों को छुड़वाकर उन पर एहसान जता सकें। इसे ही कहते हैं कि चोर से कहे चोरी कर शाह से कहे जागता रह। |
चोर-चोर मौसेरे भाई | दुष्ट लोगों में आपस में घनिष्ठता होती है) - ठेकेदार ने घटिया सड़कें बनाई हैं फिर भी इंजीनियर और ठेकेदार दोनों में खूब पटती है। पटेगी क्यों नही चोर-चोर मौसेरे भाई। |
चोरन कुतिया मिल गई पहरा किसका देय | जब रक्षक ही चोरों से मिल गया तो फिर ऐसे व्यक्ति से रक्षा करवाने का कोई अर्थ नहीं) - वरिष्ठ अधिकारी ने अपने अधीन घूसखोर अधिकारियों को भ्रष्टाचार कम करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। चोरन कुतिया मिल गई पहरा किसका देय । |
छछूदर के सर में चमेली का तेल | अयोग्य व्यक्ति द्वारा स्तरीय वस्तु का उपयोग) - विजय निपट अनपढ़ है किंतु उसे 20 लाख की फुली ऑटोमेटिक कार दहेज में मिली है जिसकी वह महत्ता भी नहीं जानता, यही तो है छछूदर के सर में चमेली का तेल । |
छोटा मुँह बड़ी बात | सामर्थ्य से अधिक के बारे में डींग मारना) - तुम्हारी दुकान में कुल 5 हज़ार का सामान नहीं और कहते हो कि करोड़ों का लेन-देन करता हूँ। छोटे मुँह बड़ी बात नहीं किया करते । |
जब तक साँस, तब तक आस | अंतिम क्षण तक जीवन की आशा बनी रहती है) - अभिमन्यु ने अंतिम क्षण तक चक्रव्यूह से बाहर निकलने का प्रयास किया। जब तक साँस, तब तक आस । |
जल में रहकर मगर से बैर | अपने से अधिक शक्तिशाली से दुश्मनी बढ़ाना) - हड़ताल करानेवाले लड़के पढ़ना नहीं चाहते किंतु पढ़नेवाले लड़के उनका विरोध भी नहीं करते। क्या करें, उनसे डरते हैं। जल में रहकर मगर से बैर कौन करे। |
जस दूल्हा तस बनी बराता | जैसा मुखिया वैसे ही अन्य साथी) - जैसा इंजीनियर भ्रष्ट है वैसे ही उसके कार्यालय के अन्य कर्मचारी भी हैं। जस दूल्हा तस बनी बराता । |
जहाँ गुड़ होगा वहाँ मक्खियाँ होंगी | जहाँ-जहाँ लाभ प्राप्त होने का आकर्षण होगा वहाँ-वहाँ लोग पहुँचेंगे ही - अख़्तर के पिता जो कि मंत्री थे उनके घर लोगों का जमावड़ा देखकर मुहम्मद ने रहीम को कहा कि जहाँ गुड़ होगा वहाँ मक्खियाँ होंगी ही। |
जहाँ फूल वहाँ काँटा | जहाँ अच्छाई होती है वहीं बुराई भी होती है - रामू को अपने मालिक के यहाँ ईमानदारी से काम करने पर पुरस्कार मिलता था लेकिन गलती करने पर डाँट भी मिलती थी। जहाँ फूल होंगे वहाँ काँटा भी होते ही हैं। |
जाकै पैर न फटे बिवाई वह क्या जाने पीर पराई | स्वयं दुःख भोगे बिना दूसरे की पीड़ा का आभास नहीं हो सकता - विश्वेंद्र कभी रक्तदान नहीं करता था लेकिन पुत्र के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मिन्नतों के पश्चात् रक्त की आपूर्ति हुई तब उसे रक्तदान का महत्त्व समझ आया। सच ही है जाकै पैर न फटे बिवाई वह क्या जाने पीर पराई। |
जान बची लाखों पाए | जीवन धन से अधिक मूल्यवान है - चोर हमारे रुपए ही ले गए, कम-से-कम हमें मारा तो नहीं। हमें तो यही संतोष है कि जान बची लाखों पाए। |
जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा | जितना अधिक त्याग करोगे उतना ही अधिक प्राप्त करोगे - रमेश ने दुकानदार से 200 रुपये की साड़ी माँगी और नाक भौंह सिकोड़कर कहा- अरे भाई ये भी कोई साड़ी है। तपाक से दुकानदार ने जवाब दिया कि जैसा पैसा वैसा ही माल। जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा। |
जितनी चादर हो, उतना ही पैर पसारो | सामर्थ्य के अनुसार खर्च करना - राधेश्याम ने अपनी झूठी शान दिखाने के लिए लाखों रुपया कर्ज ले लिया और अब माँगनेवाले सदा ही उसके दरवाज़े पर खड़े रहते हैं तभी तो कहते हैं जितनी चादर हो, उतना ही पैर पसारो। |
जितनी डफली उतने राग | जितने लोग, उतने विचार - लोकतंत्र में जितनी डफली उतने राग होते हैं किंतु अंततः एक नेता का निर्णय अंतिम होता है। |
जिन ढूँढ़ा तिन पाइया गहरे पानी पैठ | जो संकल्पशील होते हैं वे कठिन परिश्रम करके अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं - जो दीन-दुनिया सब भूलकर प्रतियोगिता की तैयारी करते हैं वे अंततः सफल हो ही जाते हैं। कहा ही गया है कि जिन ढूँढ़ा तिन पाइया गहरे पानी पैठ । |
जिसकी लाठी उसकी भैंस | शक्तिशाली की ही संपत्ति है - चुनावों में लठैत लोग छोटी जाति के लोगों को वोट नहीं डालने देते। गाँवों में तो सीधा-सा न्याय है जिसकी लाठी उसकी भैंस । |
जैसा देश वैसा भेष | स्थान एवं अवसर के अनुसार व्यवहार करना - विलियम जॉन्स विदेशी है और वह कई वर्षों से भारत में रह रहा है तथा उसने अब भारतीयों की तरह बोलना व कपड़े पहनना प्रारम्भ कर दिया हैं सच ही जैसा देश वैसा भेष । |
जैसा राजा वैसी प्रजा | मुखिया जैसा होगा अंनुयायी भी वैसे ही होंगे) - रामू काका गाँव के सबसे अधिक मेहनती व ईमानदार व्यक्ति हैं और वैसे ही उनके पुत्र भी है सच ही है जैसा राजा वैसी प्रजा। |
जैसी करनी वैसी भरनी | कर्मानुसार फल प्राप्ति - विकास कम समय व कम मेहनत में ही अमीर व्यक्ति बनना चाहता था इसके लिए उसने चोरी जैसे अनेक ग़लत कार्य प्रारंभ' कर दिए और अंत में वह जेल की हवा खा रहा है सच ही है जैसी करनी वैसी भरनी। |
जैसे साँपनाथ वैसे नागनाथ | दोनों ही एक-जैसे बुरे - राजेश का क्रूर अधिकारी कुछ दिन के लिए छुट्टी पर गया तो ऑफिस वाले बहुत खुश हुए परंतु नया अधिकारी जब उससे भी अधिक क्रूर निकला तो सभी ने कहा- जैसे साँपनाथ वैसे नागनाथ । |
जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं | झूठी और बड़ी-बड़ी बातें करने वाले वास्तव में काम नहीं करते - लोचन ने गाँव का सरपंच बनने से पहले गाँव के विकास को लेकर गाँववालों से बहुत बड़ी-बड़ी बातें कीं परंतु वह एक भी कार्य नहीं करवा सका सच ही है जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं। |
ज्यों-ज्यों भीगे कामरी त्यों-त्यों भारी होय | समय के साथ-साथ ज़िम्मेदारियाँ भी बढ़ती जाती हैं) - सुरेश जब तक अकेला था तब तक अपना जीवनयापन बहुत आसानी से कर रहा था, परंतु अब उसका विवाह हो गया तो उसकी पत्नी व उसके माता-पिता भी उसके साथ रहने लगे थे तो अब थोड़ी मुश्किल होने लगी थी सच ही है ज्यों-ज्यों भीगे कामरी त्यों-त्यों भारी होय । |
झूठ के पैर नहीं होते | झूठ अधिक दिन नहीं चल सकता - राजेश हमेशा लोगों से बड़ी-बड़ी बातें करता लेकिन एक दिन उसका झूठ पकड़ा गया सच ही है झूठ के पैर नहीं होते । |
झूठहि लेना झूठहि देना, झूठहि भोजन झूठ चबैना | हर कार्य में बेईमानी ही करना - कुछ महाविद्यालय बहुत ही बेईमानी कर रहे हैं न तो वहाँ अध्यापक हैं, न वहाँ विद्यार्थी हैं और न ही किसी प्रकार के संसाधन और फिर भी महाविद्यालय चल रहा है। सच ही है झूठहि लेना झूठहि देना, झूठहि भोजन झूठ चबैना । |
टके का सब खेल | धन से सब काम संपन्न होते हैं - सीताराम अपनी पेंशन की फाइल रोज़ चपरासी को देता कि बड़े बाबू के पास भेज दे लेकिन चपरासी फाइल आगे भेज ही नहीं रहा था सीताराम ने फाइल में 500 का नोट रखकर कहा कि अब इस फाइल को बड़े बाबू को पास भेज दो तो चपरासी ने तुरंत फाइल बड़े बाबू के पास भेज दी। सच ही है टके का सब खेल । |
टके की चटाई, नौ टका विदाई | लाभ से ज़्यादा खर्च करना - किशन दिनभर मेहनत करता और 50 रुपये कमाता लेकिन रात को खाने में 60-70 रुपये खर्च कर देता है। ये तो टके की चटाई, नौ टका विदाई जैसा ही है। |
टके की मुर्गी नौ टके वसूल | किसी वस्तु का बहुत अधिक मूल्य प्राप्त करना) - महेश ने 5,000 रुपये में टी.वी. खरीदा लेकिन अपनी चतुराई से उसने उसे अपने ही जानकार को 10,000 रुपये में बेचकर अधिक मूल्य प्राप्त किया। सच ही है कि टके की मुर्गी नौ टके वसूल । |
टके की हाँडी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई | स्वयं का थोड़ा नुकसान सहनकर भारी नुकसान करनेवाले चरित्र को पहचान लेना) - जमना सेठ ने नया नौकर रखा था जो पहले ही दिन सौ रुपये लेकर भाग गया तो सेठ ने कहा टके की हाँडी गई, कुत्ते की जात पहचानी गई। |
टके के लिए मस्ज़िद तोड़ना | छोटे से स्वार्थ के लिए बड़ा नुकसान करना) - आजकल रेलगाड़ियों में ऐसे चोर-उचक्के चलते हैं कि यात्री से थोड़ा-सा धन लूटने के लिए उसका क़त्ल भी कर देते हैं। ये लोग टके के लिए मस्ज़िद तोड़ने को तैयार रहते हैं। |
ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है | शांत व्यक्ति, अंततः क्रोधी पर विजय पाता है) - परशुराम के क्रोध को राम के सामने शांत होना ही पड़ा क्योंकि सच ही है ठंडा लोहा गरम लोहे को काट देता है। |
ठोक बजा लें' चीज़, ठोक बजा दे दाम | अच्छी गुणवत्तावाली वस्तु लेना तथा उसका मूल्य भी अधिक चुकाना) - राम कल एक पशु मेले से गाय खरीद लाया मैंने पूछा कितने में लाए हो तो राम बोला बहुत महँगी है लेकिन 20 सेर दूध देती है तब मैंने कहा सच ही है ठोक बजा ले चीज़, ठोक बजा दे दाम । |
ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिल | अपने से बलवान पराए व्यक्ति से अपमानित होकर स्वजनों पर गुस्सा निकालना) - डाँट-डपट तो की है तुम्हारे अफ़सर ने और गुस्सा निकालते हो बच्चों पर। यह कौनसा न्याय है कि ठोकर लगी पहाड़ की, तोड़े घर की सिल ! |
ठोकर लगे तब आँख खुले | कुछ नुकसान होने पर ही कुछ सीखा जाता है) - निरंजन को उसके पिताजी समझाते रहे कि परीक्षा पास आ गई है पढ़ लो परंतु निरंजन ने ध्यान नहीं दिया और जब परिणाम घोषित हुआ तो वह फेल हो गया और अब उसने नियमित पढ़ने का निश्चय किया। सच ही है ठोकर लगे तब आँख खुले। |
डंडा सबका पीर | सख्ती से अनुशासन बनता है) - महाविद्यालय का समय 9.00 बजे का है परंतु विद्यार्थी समय पर नहीं आते हैं अतः एक दिन 9.00 बजे के बाद आनेवाले सभी विद्यार्थियों को घर वापस भेज दिया गया तो अगले दिन से ही सभी विद्यार्थी समय पर आने लगे। सच ही है डंडा सबका पीर। |
डायन को दामाद प्यारा | बुरे को भी अपना व्यक्ति प्यारा होता है) - रामू की पत्नी पूरे गाँव के बच्चों को मारती थी लेकिन अपने बच्चों को नहीं। सच ही है डायन को भी दामाद प्यारा होता है। |
डायन भी अपने बच्चे नहीं खाती | दुष्ट व्यक्ति भी अपना नुकसान नहीं करता) - मोहन पूरे दिन शराब पीता और दूसरे लोगों को नुकसान पहुँचाता रहता है परंतु अपना और अपनों का कभी कोई नुकसान नहीं किया। सच ही है डायन भी अपने बच्चे नहीं खाती। |
ढाक के तीन पात | एक-सा रहना) - मिश्रा जी के लिए कितनी तरह के कपड़े लाकर रख दिए, नहीं पहनते, उन्हें तो सदा ही ढाक के तीन पात बने रहना पसंद है। |
तबेले की बला बंदर के सिर | किसी पर अन्य का दोष मढ़ देना) - दिलीप के सारे घरवालों के झगड़े तो अपने-अपने स्वार्थ के कारण हैं और इल्ज़ाम मेरे ऊपर है कि झगड़ा मैंने करवाया। वाह ! तबेले की बला बंदर के सिर । |
तलवार का घाव भरता है पर बात का नहीं भरता | कटु वाक्य हृदय पर घाव करते हैं) – किशन ने अपने बड़े भाई श्याम को काफी खरी-खोटी सुनाकर घर से निकाल दिया और आज भी श्याम अपने भाई के कटु वचनों को भूल नहीं पाया है और दुःखी होता रहता है। यह सच है कि तलवार का घाव भरता है पर बात का नहीं भरता । |
तिनके की ओट में पहाड़ | छोटी चीज़ के पीछे बड़े रहस्य का छिपा होना) —दुर्घटना करके भाग जानेवाले ट्रक का नंबर याद नहीं आ रहा इसीलिए लाखों का मुआवज़ा अटका पड़ा है। अब तिनके की ओट में पहाड़ है। |
तिरिया तेल हमीर-हठ चढ़े न दूजी बार | कुछ चीजें ठान लेने पर पूरी करनी ही होती है) —कन्या के तेल चढ़ जाने पर उसका विवाह निर्धारित तिथि पर करना ही होगा, सवाईमाधोपुर का राजा हमीर था, वह जो हठ (ज़िद) कर लेता था उसे पूरी करके ही रहता था। |
तीन में न तेरह में | जिसका कुछ भी महत्त्व न हो - दिनेश की घर में बिल्कुल नहीं चलती। वह न तीन में है न तेरह में। |
तीन लोक से मथुरा न्यारी | सबसे अलग स्थिति - सब लोग पढ़ने जाते हैं और समय पर घर आ जाते हैं और रवि तुम्हारा कुछ अता-पता ही नहीं रहता। तुम्हारी तो तीन लोक से मथुरा न्यारी है। |
तीरथ गए मुँडाए सिर | वातावरण के अनुसार निर्णय लेना) — रामकिशन वैसे तो पूजा पाठ में विश्वास नहीं करता परंतु जब वह अपनी दादी के साथ हरिद्वार गया तो वहाँ उसने सभी यज्ञ कर्म किए सच ही है तीरथ गए मुँडाए सिर । |
तुरंत दान महा कल्याण | शुभ कार्य करते ही तुरंत अच्छा फल प्राप्त होना) - मैंने तो अनाथाश्रम के लिए पाँच हज़ार रुपए का चंदा दिया था कि उसी सप्ताह व्यापार में तीस हज़ार का लाभ हो गया। यह तो वही हुआ कि तुरंत दान महा कल्याण । |
तू डाल-डाल, मैं पात-पात | एक चालाक से बढ़कर दूसरा चालाक) - मोहन ने समीर के ख़िलाफ़ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई तो समीर ने मोहन के ख़िलाफ़ चार मुकद्दमे दायर कर दिए और मोहन से कहा कि तू डाल-डाल मैं पात-पात हूँ। |
तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर | अपनी सामर्थ्य के अनुसार व्यय करना) —उसके पास कुल एक लाख रुपए थे और कर्ज़ लेकर तीन लाख का मकान बना लिया। अब वह दुखी है क्योंकि दो लाख का ब्याज ही उसे भारी पड़ रहा है। सच ही कहा गया है तेते पाँव पसारिए जेती लम्बी सौर। |
तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कड़ाही | बिना पूर्व तैयारी के काम शुरू करना) - महेश ने बिना तैयारी के प्रतियोगिता परीक्षा दी और वह अनुतीर्ण हो गया तो भाई यह तो वैसे ही है जैसे तेल न मिठाई, चूल्हे धरी कड़ाही। |
तेल देखो तेल की धार देखो | किसी भी स्थिति का धैर्यपूर्वक आकलन करना) - लड़के-लड़की का रिश्ता करने में जल्दबाजी ठीक नहीं, तसल्ली से तेल देखना तेल की धार देखना चाहिए। |
थका ऊँट सराय ताकता है | थके को विश्राम की ज़रूरत होती है) - विजय ने घर के लिए 8 कि.मी. का सफर तो पैदल तय कर लिया फिर भी घर अभी 4 कि.मी. और दूर है। विजय जल्दी से घर पहुँच जाना चाहता है। सच ही है थका ऊँट सराय ताकता है। |
थूक कर चाटना | अपनी बात से फिर जाना) - दिनेश ने अगर चंदा देने की घोषणा कर दी है तो उससे जल्दी ही ले लो वरना वह थूक कर चाट जानेवाला आदमी है। |
थूक से सत्तू सानना | कम सामग्री से बड़ा काम पूरा करने की असफल कोशिश करना) – जब तुम्हारे पास केवल पचास आदमियों को खिलाने की ही सामग्री थी तो तुमने 300 लोग सूची में क्यों शामिल किए, तुम तो थूक से सत्तू सानना चाहते हो। |
थोड़ी पूँजी धणी को खाय | अपर्याप्त पूँजी से व्यापार में घाटा होता है) -महेश की फैक्ट्री अच्छा माल बना रही है, उसके माल की माँग भी बहुत है कि कच्चा माल खरीदने के लिए पैसा नहीं, उधार में खरीदता है तो महँगा पड़ता है। इसीलिए महेश को घाटा हो रहा है। कहते हैं ना कि थोड़ी पूँजी धणी को खाय। |
थोथा चना बाजे घना | अकर्मण्य बात अधिक करता है) - आप सुधीर के आश्वासनों पर मत जाना। वह तो थोथा चना बाजे घना है, आपके लिए करेगा कुछ नहीं और बातें दुनिया भर की करेगा। |
दबाने पर चींटी भी चोट करती है | सीमा से अधिक परेशान करने पर छोटे-से-छोटा व्यक्ति भी बदला ले सकता है) - ज़र्मीदारों द्वारा ग़रीब किसानों से फ़सल न होने पर भी जब लगान वसूला जा रहा था तो सभी किसानों ने मिलकर आंदोलन छेड़ दिया सच ही है दबाने पर चींटी भी चोट करती है। |
दबी बिल्ली चूहों से भी कान कटवाती है | किसी से दबा हुआ आदमी अपने से कमज़ोर लोगों के भी वश में रहता है) - अफ़सर में रिश्वत लेने की कमज़ोरी है इसीलिए उसके अधीनस्थ कर्मचारी भी उस पर हावी रहते हैं। क्या करें दबी बिल्ली चूहों से भी कान कटवाती है। |
दलाल का दीवाला क्या, मस्ज़िद में ताला क्या ? | जिसके पास खोने को कुछ भी नहीं है, उसे हानि से डर क्या ?) - रामू के पास इस खाली मकान के अलावा और है क्या जो दरवाज़े पर ताला लगाए। सच ही है दलाल का दीवाला क्या, मस्ज़िद में ताला क्या ? |
दाख पके तब काग के होय कंठ में रोग | किसी वस्तु का उपभोग करने की स्थिति में आने पर उसका उपभोग कर सकने में असमर्थ हो जाना) - हरिया ने अपने आँगन में आम का पेड़ लगाया और जब उसमें फल आए तब तक हरिया काफी वृद्ध हो चुका था वह फल खाने में असमर्थ था, सच ही है दाख पके तब काग के होय कंठ में रोग। |
दाग लगाए लँगोटिया यार | मनुष्य धोखा अपनों से ही खाता है) श्याम ने अपने भतीजे को अपने साथ रखा और उसका भतीजा ही उसके घर में चोरी करके भाग गया सच ही है दाग लगाए लँगोटिया यार। |
दादा कहने से बनिया भी गुड़ देता है | मधुर वाणी से सब काम बन जाते हैं) - मोहन गाँव में सभी से प्यार से बात करता है इसीलिए जब वह गाँव के साहूकार के पास कर्ज़ माँगने गया तो साहूकार ने उसे बहुत आसानी से कर्ज़ दे दिया। सच ही है दादा कहने से बनिया भी गुड़ देता है। |
दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते | मुफ़्त में मिली काम की वस्तु में कमियाँ नहीं देखी जाती) - नमिता के जन्मदिन पर उसकी सहेली उसे पर्स उपहार में दे गई। पर्स काफ़ी छोटा था। नमिता की माँ ने कहा, छोटा है तो क्या और बड़ा है तो क्या ? दान की बछिया के दाँत नहीं गिने जाते । |
दाने-दाने पर मुहर | अपना-अपना भाग्य - श्याम कई वर्षों से सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है परंतु अभी तक नहीं लगा लेकिन उसके छोटे भाई ने पहली बार ही सरकारी नौकरी हेतु परीक्षा दी थी और उसकी नौकरी लग गई सच ही है दाने-दाने पर मुहर । |
दाल-भात में मूसलचंद | अवांछित एवं अनुचित हस्तक्षेप करना) - पति-पत्नी में नोक-झोंक हो रही थी। पड़ोसिन ने टोका कि आपस में क्यों लड़-झगड़ रहे हो ? पत्नी ने तपाक से जवाब दिया कि हम आपस में ही सुलट लेंगे, आप दाल-भात में मूसलचंद क्यों ? |
दीवारों के भी कान होते हैं | गोपनीय बातचीत बहुत सावधानी से करनी चाहिए क्योंकि उस बात की औरों के ज्ञात हो जाने की संभावना बनी रहती है) - धीरे बात करो कोई सुन लेगा। लेकिन यहाँ तो कोई भी नहीं है सुननेवाला ? क्या पता कोई कब आ जाए, दीवारों के भी कान होते हैं। |
दुधारू गाय की लात भी अच्छी | जो व्यक्ति लाभकारी है उससे थोड़ा-बहुत नुक़सान भी सहन कर लेना उचित है - उसका मिज़ाज तेज़ है, बीच-बीच में कहा-सुनी कर लेता है किंतु वह काम अच्छा करता है, कारखाना उसी के बूते पर चलता है। इसलिए मैंने तो सोच रखा है कि दुधारू गाय की लात भी अच्छी । |
दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम | दुविधाग्रस्त व्यक्ति को किसी की भी प्राप्ति नहीं होती) - वह कभी व्यापार करने की सोचता है तो कभी नौकरी करने की। ऐसा सोचते-सोचते वह दोनों ही कामों को ठीक से नहीं कर पाया उसके तो दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम । |
दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है | एक बार धोखा खाया हुआ व्यक्ति आगे सतर्क हो जाता है) - सुरेश की बस में एक बार जेब क्या कटी कि अब वह अपने पास बैठनेवाले हर आदमी पर शक़ करता है। सच ही कहा है कि दूध का जला छाछ को फूंक-फूंक कर पीता है। |
दूध का दूध पानी का पानी | सही न्याय करना, सही को सही और ग़लत को ग़लत बताना) - धनिया ने सारी बात पंचों के सामने रखी। पंचों ने अपना निष्पक्ष फैसला सुनाकर दूध का दूध पानी का पानी कर दिया। |
दो लड़े, तीसरा ले उड़े | दो के झगड़े में तीसरे की बन आती है) - योगेंद्र और विक्रम दोनों एक खिलौने के लिए लड़ रहे थे तभी महेश आया और वह खिलौना लेकर भाग गया सच ही है दो लड़े, तीसरा ले उड़े। |
धक डाले चाँद नहीं छुपता | सज्जन की निंदा से उसकी सज्जनता छिपती नहीं) - कृष्ण एक सज्जन व्यक्ति था, लोग उसकी सज्जनता पर उँगली उठाते थे लेकिन उसके कार्यों से उसकी सज्जनता लोगों से छिपी नहीं थी। सच ही है धक डाले चाँद नहीं छुपता। |
धनवंती को काँटा लगा, दौड़े लोग हज़ार | धनी के कष्ट में बहुत लोग सहायता के लिए आ जाते हैं) - गाँव के ज़मीदार की थोड़ी तबीयत क्या ख़राब हुई सभी गाँव वाले उनकी तबीयत पूछने पहुँच गए। सच ही है धनवंती को काँटा लगा, दौड़े लोग हज़ार। |
धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का | जो दो भिन्न पक्षों से जुड़ा रहता है वह कहीं का नहीं रहता) - मजदूर नेता पहले मज़दूरों को धोखा देकर मिल मालिक का पक्ष लेने लगा, |
न ऊधो का लेना न माधो का देना | किसी से कोई मतलब नहीं होना) – मुझे श्याम और शिरीष के झगड़े में मत घसीटो। मैं अपने हाल में मस्त रहता हूँ, मुझे न ऊधो का लेना न माधो का देना। |
न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी | किसी कार्य को करने के लिए अव्यावहारिक शर्त लगाना) – आदिवासियों की एक सभा में मंत्री ने कहा कि तुम अपने बच्चों को पढ़ाओ हम उन्हें नौकरी दे देंगे। एक आदिवासी ने उठकर कहा कि खाने को तो अनाज ही नहीं, पढ़ाएँ कहाँ से, न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। |
न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी | किसी समस्या के मूल कारण को ही नष्ट कर देना) – आतंककारियों और तस्करों से परेशान होकर भारत सरकार ने पाकिस्तानी सीमा पर तार लगाने का काम प्रारम्भ कर दिया ताकि न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी। |
न सावन सूखा, न भादो हरा | हर परिस्थिति में एक-सा बना रहना) – सीताराम जी अच्छी फसल होने पर न ही खुश होते हैं न ही बिगड़ने पर दुखी, सही कहा है कि न सावन सूखा, न भादो हरा। |
नक्कारख़ाने में तूती की आवाज़ | बड़ों के बीच में छोटे आदमी की कौन सुनता है) – महेंद्र को लोकसभा का पार्टी से टिकिट मिल गया और हार गया। कुछ कार्यकर्ताओं ने पहले ही कहा था कि महेंद्र बदनाम आदमी है टिकिट मत दो, पर नक्कारख़ाने में तूती की आवाज़ को कौन सुनता है ? |
नटनी जब बाँस पर चढ़ी तब घूँघट क्या | बेशर्म होने पर लज्जा का कोई स्थान नहीं) – रमेश अनेक बार रिश्वत लेते हुए पकड़ा जा चुका है फिर भी कोई शर्म नहीं। सही कहा है कि नटनी जब बाँस पर चढ़ी तब घूँघट क्या। |
नदी-नाव संयोग | क्षणिक साथ) – बरसों बाद रमेश और मीना की मुलाकात नेट की परीक्षा के दौरान कुछ समय के लिए हुई है, उनका मिलना नदी-नाव संयोग जैसा है। |
नया नौ दिन पुराना सौ दिन | नया, नया है पुराना सोना है) – विदेशी सभ्यता और संस्कृति हमारी सभ्यता और संस्कृति के सामने नहीं टिक सकती, सही कहा गया है-नया नौ दिन पुराना सौ दिन । |
नाक कटी पर घी तो चाटा | बेइज्ज़त होकर कुछ पाना) – श्याम ने अपना वेतन बढ़वाने के लिए मालिक से बहुत मिन्नतें की, फटकार खाई, आत्म-सम्मान दाँव पर लगाया, तब कहीं जाकर वेतन में वृद्धि हुई। सच है. नाक कटी पर घी तो चाटा। |
नाच न जाने आँगन टेढ़ा | अपनी अयोग्यता के लिए साधनों को दोष देना) – चित्रकार को चित्र तो बनाना आता नहीं और कहता है कि ब्रश ही अच्छा नहीं था, नाच न जाने आँगन टेढ़ा। |
नाम बड़े और दर्शन छोटे | गुणों से ज्यादा प्रसिद्धि बतलाना) – LMB का नाम सुनकर मिठाई मंगवाई लेकिन हम लोगों को ज़रा भी पसंद नही आई। सही कहा है कि नाम बड़े और दर्शन छोटे । |
निर्बल के बल राम | असहाय की ताकत ईश्वर ही होता है) - आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी रामसहाय की तीनों पुत्रियाँ सरकारी पदों पर पहुँच गईं सही कहा है निर्बल के बल. राम । |
नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर | संकट में घबरा जाना) - आयकर विभाग का छापा पड़ते ही मिल मालिकों की नीचे की साँस नीचे, ऊपर की साँस ऊपर हो गई। |
नीम (अधूरा) हक़ीम ख़तरे जान | अज्ञानी एवं अनुभवहीन की राय ख़तरनाक होती है) – किसी यों ही नए ठेकेदार से मकान मत बनवा लेना, किसी अनुभवी इंजीनियर की राय ज़रूर लेते रहना, क्योंकि नीम हकीम ख़तरे जान । |
नेकी और पूछ-पूछ | शुभ कार्य करने के लिए क्या पूछना) - मैं गौशाला में चंदा दे सकता हूँ ? यह तो उत्तम विचार है नेकी और पूछ-पूछ ! |
नौ दिन चले अढ़ाई कोस /दिनभर चले अढ़ाई कोस | बहुत सुस्ती से काम करना) - मैं तो अपने मकान के ठेकेदार को बदलूँगा। तीन महीने में तो अभी नींव ही भरी है, उसका तो यही हाल है कि नौ दिन चले अढ़ाई कोस । |
नौ नक़द न तेरह उधार | यदि लाभ शीघ्र मिल रहा हो तो वह बाद में मिलनेवाले अधिक लाभ की तुलना में अच्छा है) - ओमप्रकाश ने दुकानदार से कहा कि 10 किलो चीनी उधार दे दो 15 दिन बाद तुम्हारी रेट से 5 रु. अधिक दे दूँगा दुकानदार ने बोर्ड की तरफ इशारा किया उस पर लिखा था नौ नक़द न तेरह उधार । |
सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को | जीवन भर पाप करके अंत में धर्मात्मा बनने का ढोंग करना) - आजकल के नेता वैसे तो कई अपराधों में लिप्त रहते हैं लेकिन समाज को दिखाने के लिए सामाजिक संस्थाओं, धार्मिक अनुष्ठानों में दान देते हैं। सही कहा है सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली चली हज को। |
पकायी खीर पर हो गयी दलिया | भाग्य का साथ न देना) - रमेश ने ज़मीन खरीदी थी प्लाट काटकर रु. कमाने के लिए लेकिन ज़मीन की कीमत में निरंतर गिरावट आ रही है, उसके साथ तो पकायी खीर पर हो गयी दलिया। |
पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं | पराधीनता में सुख कहाँ ?) - "आपने कंपनी की नौकरी छोड़कर चार्टेड अकाउंटेंट की प्रेक्टिस क्यों शुरू की ?" "वह नौकरी थी और वह भी प्राइवेट कंपनी की ? कहा है ना कि पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।" |
पाँचों अँगुलियाँ घी में हैं | पूरी तरह से संपन्नता) - रोहन का व्यापार भी अच्छा चल रहा है और बेटा राजकीय सेवा में है तथा बहू का अध्यापिका के पद पर चयन हो गया है उसकी तो भई अब पाँचों अँगुलियाँ घी में हैं। |
पाँचों अंगुलियाँ बराबर नहीं होती | सब इंसान एक समान नहीं होते) - रामदास जी का छोटा बेटा बहुत सेवा करता है और बड़ा बेटा हमेशा जायदाद के लिए झगड़ता रहता है, सही कहा है पाँचों अंगुलियाँ बराबर नहीं होती। |
पाँव उखड़ना | कमज़ोर पड़ना) - महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर की सेना के पाँव उखाड़ दिए। |
पानी पीकर जात पूछना | काम समाप्ति पर उसके सभी पहलुओं पर विचार करना - पहले लड़की की शादी अनजान घर में कर दी अब पूछ रहे हो लोग कैसे हैं ? अरे पानी पीकर जात नहीं पूछी जाती । |
पाप का घड़ा भरकर डूबता है | पाप जब बहुत अधिक बढ़ जाता है, तब विनाश होता है) – सोहनलाल सेठ ने मिल के मजदूरों पर बहुत अत्याचार किया अंत में मिल बंद ही हो गई सही कहा है, पाप का घड़ा भरकर डूबता है। |
पावभर चून पुल भर रसोई | कम भोजन पर अधिक लोगों को बुलाना - रमा ने खाना तो बनाया 10 लोगों का और खाने बुला लिया 25 लोगों को, यह तो वही बात हुई कि पावभर चून पुल भर रसोई। |
प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं | जिसका काम है उसे अपना काम करवाने के लिए काम करनेवाले के पास जाना पड़ता है) - दिनेश महेश से पुत्री की शादी में मदद भी लेना चाहता है और याचना भी नहीं करना चाहता उसके घर भी नहीं जाना चाहता यह कैसे सम्भव है ? उसे समझना चाहिए कि प्यासा कुएँ के पास जाता है, कुआँ प्यासे के पास नहीं। |
प्रभुता पाहि काहि मद नाहिं | उच्च पद प्राप्त करके किसे घमंड नहीं होता - कैलाश गाँव का साधारण-सा लड़का था। अफ़सर बनने पर किसी से बात ही नहीं करता ! सच ही कहा है कि प्रभुता पाहि काहि मद नाहीं। |
पढ़े फ़ारसी बेचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल | योग्यता होने पर भी दुर्भाग्य से योग्यतानुसार काम न मिलना - आजकल कितने युवक MBA की डिग्री लेने के बाद छोटी मोटी कंपनियों के उत्पाद बेचने का काम कर रहे हैं। ऐसा वे सही रोज़गार न मिलने के कारण करते हैं। सही कहा है पढ़े फ़ारसी बेचे तेल, यह देखो कुदरत का खेल। |
फरा सो झरा, बरा सो बुताना | जो फला है सो झड़ेगा, जो जला है सो बुझेगा, अर्थात् सभी लोग अपने अंत को प्राप्त होते हैं - इस संसार में सभी चीजें नश्वर हैं। सभी का अंत निश्चित है। सही कहा है फरा सो झरा, बरा सो बुताना। |
फलेगा सो झड़ेगा | सुख के बाद दुःख अवश्यम्भावी है - सुख और दुःख जीवन के दो पहलू हैं। हमें दुःख आने पर परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि फलेगा सो झड़ेगा। |
फिसल पड़े तो हर-हर गंगे | काम बिगड़ जाने पर यह कहना कि यह तो किया ही ऐसे गया था) - फेल हो गया तो नरेश कहता है, डिवीज़न ख़राब हो रहा था इसलिए जानबूझकर फेल हो गया। यह तो वही बात हुई कि फिसल पड़े तो हर गंगा। |
बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद | मूर्ख किसी अच्छी वस्तु की कद्र नहीं कर सकता) — टी.वी. पर ज्योंही पंडित जसराज का शास्त्रीय संगीत आने लगा तो गौरव ने कहा- क्या रोना-धोना लगा रखा है, और टी.वी. ही बंद कर दिया। बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद । |
बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी ? | जिसका कष्ट पाना तय है वह अंततः विपत्ति मे पड़ेगा ही) - शीला ऑपरेशन से डरती थी इसलिए ऑपरेशन करवाना टालती रही किंतु आज तो डॉक्टर ने कह ही दिया कि दो दिन में ऑपरेशन करना ही पड़ेगा। शीला ने कहा ठीक है, बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी। |
बनिया मीत, न वेश्या सती | वेश्या कभी चरित्रवान नहीं होती व व्यापारी किसी का मित्र नहीं हो सकता - शर्मा जी बनिये के साथ व्यापार करने लगे और बाज़ारू औरत से प्यार कर बैठे दोनों के चक्कर में बर्बाद हो गए। सही कहा है बनिया मीत न वेश्या सती। |
बाँझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा ? | जिसने कष्ट नहीं देखा, वो दूसरों का कष्ट क्या जाने) - हरिया काका का लड़का शहर में नौकरी के लिए दर-दर भटकता रहा उसे नौकरी नहीं मिली तो इस बात पर ज़मींदार का बेटा कहता है कि नौकरी पाना कौनसा मुश्किल है सच ही है बाँझ क्या जाने प्रसव की पीड़ा ? |
बाँबी में हाथ तू डाल और मंत्र मैं पहूँ | चालाकी से दूसरे को ख़तरे में डालना - शीतकालीन अवकाश बढ़वाने के लिए टीना ने नीना को प्रधानाध्यापक के पास भेज कर वही किया कि बाँबी में हाथ तू डाल और मंत्र मैं पहूँ। |
बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपय्या | आज के युग में धन ही सब कुछ है) - आधुनिक परिवेश में यह मानसिकता दिखाई देती है कि किसी भी वस्तु, व्यक्ति का प्रभाव नहीं है चारों तरफ सिर्फ रुपये का ही महत्व है सही कहा है। बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपय्या । |
बासी बचे न कुत्ता खाय | ज़रूरत भर का काम करना) प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार वस्तुओं को एकत्र करना चाहिए जिनका वह उपयोग कर सके ताकि व्यर्थ बर्बादी न हो अर्थात् बासी बचे न कुत्ता खाय । |
बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे ? | रक्षक ही भक्षक हो जाए) - आजकल पुलिस ही जनता को परेशान करती है तो अपराधियों की तो बात ही क्या है, सही कहा है बाड़ ही जब खेत को खाए तो रखवाली कौन करे ? |
बिन माँगे मोती मिले, माँगे मिले न भीख | माँगने पर तुच्छ वस्तु देने से भी कोई इंकार कर सकता है और बित्ता माँगे कोई बहुमूल्य भी दे सकता है) - सुनील के पिता सुनील के विवाह के लिए बढ़-चढ़कर दहेज माँगते रहे लेकिन कोई देने के लिए तैयार नहीं हुआ। जब उन्होंने माँगना बंद कर दिया तो सुनील का विवाह उनके पिता की अपेक्षाओं से भी अच्छा हुआ। यही तो है कि बिन माँगे मोती मिले माँगे मिले न भीख । |
बिल्ली के भाग से छींका टूटा | बिना प्रयास किए किसी अयोग्य व्यक्ति को फल प्राप्त हो जाना) - सुधीर को सड़क पर लॉटरी का टिकिट मिल गया और संयोग से लॉटरी उसी टिकिट की खुल गई। यह तो बिल्ली के भाग से ही छींका टूटा है। |
बूढ़े तोते भी कभी पढ़ते हैं ? | बुढ़ापे में कुछ सीखना कठिन हो जाता है) - रामकिशन की उम्र 55 वर्ष है, उसके अधिकारी उनसे कंम्प्यूटर सीखने के लिए कह रहे है कम्प्यूटर सीखना इस उम्र में आसान है क्या ? सच ही है बूढ़े तोते भी कभी पढ़ते हैं ? |
बैठे से बेगार भली | निरर्थक बैठे रहने के बजाय कम लाभ के लिए भी कुछ-न-कुछ काम करना) - रामसहाय को प्रतिदिन 400 रु. मजदूरी मिलती थी लेकिन बेरोज़गारी के कारण वह 150 रु. में भी काम कर रहा है सच ही है बैठे से बेगार भली। |
बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय | बुरा काम करने पर अच्छा नतीजा कैसे प्राप्त हो सकता है) - नेता जी के कर्मों के कारण उनके ही क्षेत्र की जनता ने उन्हें वोट देने से इनकार कर दिया। सही कहा है बोया पेड़ बबूल का आम कहाँ से होय। |
भरी गगरिया चुपके जाय | ज्ञानी गंभीर होता है) - शिक्षा विभाग की सभा में सभी शिक्षक बढ़-चढ़कर अपने-अपने ज्ञान का बखान कर रहे थे लेकिन राधेश्याम मास्टर जी चुपचाप बैठे थे सच ही है भरी गगरिया चुपके जाय। |
भागते चोर की लँगोटी ही सही | जिससे कुछ न मिलता हो उससे कुछ भी पा लेना अच्छा है) - सीता ने जया से 6 माह के लिए 2 लाख रु. उधार लिए थे आज वह 10 हजार रु. लौटाने आई तो जया ने सोचा जो मिल रहे है वह तो लूं। सही कहा है भागते चोर की लँगोटी ही सही। |
भीख माँगे आँख दिखावै | असमर्थ होकर अकड़ना) - मानसी अनाथ और विकलांग है उसका पालन-पोषण उसके रिश्तेदार करते हैं लेकिन वह उनकी आलोचना दूसरे लोगों से करती है, उन्हें नीचा दिखाती है। यह तो भीख माँगे आँख दिखावै जैसा ही है। |
भूखे भजन न होय गुपाला | भूखे रहने पर कोई काम नहीं हो सकता) - खाना खाकर चलेंगे, क्योंकि वहाँ काम करना है। भाई, भूखे भजन न होय गुपाला। |
भेड़ पर ऊन कोई नहीं छोड़ता | जो कमज़ोर है उसका हर कोई शोषण कर लेता है) - जनता सोचने लगी है कि सरकार कोई भी आए, टैक्स का भार कोई कम नहीं करता। सच है भेड़ पर ऊन कोई नहीं छोड़ता। |
भैंस के आगे बीन बजाना | मूर्ख व्यक्ति को उपदेश देना निरर्थक होता है) - इस ज़िद्दी न्यायाधीश के सामने तर्कपूर्ण बहस करना भी भैंस के आगे बीन बजाना है। |
भौंकते कुत्ते को रोटी का टुकड़ा | जो विरोध करे उसे लाभ देकर चुप करना) - मजदूरों का नेता मजदूरों के साथ मिलकर मालिक का विरोध करने लगा था। मालिक ने अच्छा पद और वेतन में बढ़ोत्तरी करके उसे चुप करा दिया। सच ही कहा है भौंकते कुत्ते को रोटी का टुकड़ा। |
मन की मन में रह जाना | इच्छा पूरी न होना) - रश्मि ने सोचा था कि पति के प्रमोशन के बाद विदेश घूमने जाऊँगी लेकिन एक के बाद एक जिम्मेदारी पूरी करने के कारण वह नहीं जा पाई, उसकी तो मन की मन में रह गई। |
मन के लड्डुओं से पेट नहीं भरता | केवल कल्पना कर लेने से तृप्ति नहीं होती) - आप अपने व्यापार की उन्नति के बारे में एक से एक अच्छी कल्पनाएँ करते रहते हैं किंतु उसके लिए मेहनत बिल्कुल नहीं करते। भला मन के लड्डुओं से भी पेट भरता है ? |
मन चंगा तो कठौती में गंगा | मन की पवित्रता ही महत्त्वपूर्ण है) - सारे तीर्थों की यात्रा करने और मंदिरों में दर्शन करने से भी क्या लाभ, यदि मन में दुर्भाव भरे हुए हैं, और यदि मन चंगा है तो कठौती में गंगा। |
मान न मान मैं तेरा मेहमान | अवांछित रूप में किसी के गले पड़ना) – वे रोज़ ताश खेलने के बहाने घर पर आ धमकते हैं। मुझे फुर्सत नहीं है और मैंने उनको कई बार मना भी कर दिया किंतु उन्होंने ठान रखी है कि मान न मान मैं तेरा मेहमान । |
मानो तो देव, नहीं तो पत्थर | किसी के प्रति विश्वास हो तभी उसके प्रति आस्था पैदा होती है - गरिमा ने कृष्ण की मूर्ति के सामने हाथ जोड़कर कहा कि इस बार वरिष्ठ अध्यापक में चयन करा देना और उसका चयन भी हो गया। इससे उसकी आस्था और भी बढ़ गयी सच ही है मानो तो देव, नहीं तो पत्थर । |
मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त | पीड़ित व्यक्ति का निष्क्रिय रहना) - नरेश के घर चोरी हो गई परंतु वह तो पुलिस में भी शिकायत नहीं करता और मोहल्ले के लोग पुलिसवालों से झगड़ा तक कर आए। यह तो वही हुआ कि मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त । |
मुख में राम बगल में छुरी | अच्छे व्यवहार का प्रदर्शन किंतु धोखा देने की नीयत - सोहन के सामने तो मोहन इतना प्रेम दिखाता है लेकिन जब सोहन चला जाता है तो बुराई करने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ता, ये तो वहीं बात हो गई मुख में राम बगल में छुरी। |
मुल्ला की दौड़ मस्ज़िद तक | सीमित सामर्थ्य होना) - सरपंच ने मुझसे कहा कि मेरे पास आने से आपका काम नहीं होगा किसी एम.एल.ए. से संपर्क करें। मैंने कहा कि मेरा तो एम.एल.ए. से परिचय नहीं है, मैं तो बस आपको जानता हूँ। मेरी तो मुल्ला की दौड़ मस्ज़िद तक वाली स्थिति है। |
मेंढ़की को जुकाम | मामूली आदमी द्वारा अपनी क्षमता का काम करने में भी नखरे करना) - किसान ने कहा कि मैं धूप में काम नहीं करूँगा, लू लग जाएगी। वाह ! मेंढ़की को भी जुकाम होने लगा। |
मेरी बिल्ली मुझ ही से म्याऊँ ? | मालिक के सामने नौकर का अकड़ना) - राम ने जब समय पर कार्य न होने के कारण नौकर को डाँटा तो वह अकड़कर चिल्लाने लगा, तब राम ने कहा मेरी बिल्ली मुझ ही से म्याऊँ ? |
यथा राजा तथा प्रजा | जैसा नेता वैसी जनता - अगर नेता भ्रष्ट है तो जनता भी भ्रष्ट हो जाएगी और अगर नेता ईमानदार है तो जनता भी ईमानदार होगी क्योंकि यथा राजा तथा प्रजा। |
यह मुँह और मसूर की दाल | सामर्थ्य से बढ़कर बात या काम करना) - रमेश के जेब में तो फूटी कौड़ी भी नहीं और बातें लाखों की करता है। यह तो वही बात हो गई यह मुँह और मसूर की दाल । |
योगी था सो उठ गया, आसन रही भभूत | पुरानी ख्याति समाप्त होना) - द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो गुटों में बँट गया (i) पूँजीपति (अमेरिका) (ii) साम्यवादी (रूस) और धीरे-धीरे साम्यवादी विचारधारा का पतन हो गया और रूस एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व में आया अर्थात् योगी था सो उठ गया, आसन रही भभूत । |
रस्सी जल गई पर बल नहीं गया | प्रतिष्ठा समाप्त हो जाने पर भी दंभ की बू शेष रहना) - पुराने राजा-महाराजाओं का राज छिन गया किंतु अब भी जनता से मिलना-मिलाना अपनी शान के विरुद्ध समझते हैं। सच ही है कि रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। |
राम की माया कहीं धूप कहीं छाया | प्रकृति के अनेक रूप एक ही समय में दिखाई देना) - भगवान की माया विचित्र है, संसार में कोई सुखी है तो कोई दुःखी, कोई धनी है तो कोई निर्धन, ईश्वर की माया समझ में नहीं आती। इसी को कहते हैं कि राम की माया कहीं धूप कहीं छाया। |
रामनाम जपना पराया माल अपना | ऊपर से ईमानदार अंदर से ठग - मंजु वैसे तो भक्तिन होने का ढोंग करती है परंतु मन ही मन दूसरों का माल हड़पने को तैयार रहती है। यह तो वही बात हुई कि रामनाम जपना पराया माल अपना। |
लंका में सब बावन गज के | एक से बढ़कर एक - सीता जब सब्ज़ी लेने बाज़ार गई तो उसने अलग-अलग सब्ज़ीवाले से भाव-तोल करवाया और देखा कि सब एक से बढ़कर एक दाम माँग रहे हैं। ये तो ऐसा है कि लंका में सब बावन गज के। |
लिखित सुधाकर (चंद्रमा) लिखिगा राहू | कोई अच्छी उपलब्धि के योग्य हो किंतु दुर्योग से परिणाम बुरा भोगना पड़े) - रश्मि ने शिक्षिका बनने के लिए बहुत मेहनत की और वह परीक्षा में सिर्फ एक अंक से रह गई। ये तो वही बात हुई कि लिखित सुधाकर (चंद्रमा) लिखिगा राहू। |
लिखे ईसा पढ़े मूसा | न पढ़ने योग्य लिखावट) - उसकी लिखावट को कौन पढ़ सकता है ? वह खुद सही पढ़ ले वही बहुत है। सचमुच लिखावट ऐसी है कि लिखे ईसा, पढ़े मूसा। |
लेना एक न देना दो | किसी से कुछ व्यवहार न रखना - जिस दिन से मीना की अपने घरवालों से लड़ाई हुई है तब से वह किसी से कोई मतलब नहीं रखती और कहती है कि मेरा तो इनसे लेना एक न देना दो है। |
विनाश काले विपरीत बुद्धि | आदमी का प्रतिकूल समय आने पर उसका विवेक भी जाता रहता है) - रावण पंडित था, परम बुद्धिमान, किंतु उसने यह भी नहीं सोचा कि किसी की पत्नी चुराना कितना अधर्म है और वह इसके कुफल से बचेगा कैसे ! विनाश काले विपरीत बुद्धि। |
विष दे पर विश्वास न दे | किसी को स्पष्ट कहकर उसका बुरा कर दीजिए किंतु विश्वासघात मत कीजिए) - यदि वह साल भर पहले ही मुझे कह देते कि मेरी लड़की उन्हें पसंद नहीं है तो मैं उसका विवाह कहीं और तय कर देता। अब साल भर बाद कहकर मुझे कहीं का नहीं रखा। कोई विष दे पर विश्वास न दे। |
शेखी सेठ की, धोती भाड़े की | ज्ञान/धन न होने पर भी बड़प्पन दिखाना) - अनिल के घर में तो खाने को अनाज नहीं है और बाहर सेठ जी बना घूमता है यानि कि शेखी सेठ की, धोती भाड़े की। |
सखी न सहेली, भली अकेली | एकांत में रहना) - लक्ष्मी के पति की मृत्यु के बाद से वह कहती है कि उसे अकेलापन अच्छा लगने लगा है। सच है कि सखी न सहेली, भली अकेली । |
सब धान बाईस पंसेरी | अज्ञानी के लिए अच्छी बुरी सब चीज़े एक समान - मंदबुद्धि सुनील के लिए तो सब धान बाईस पंसेरी। |
समय चूकि पुनि का पछिताने | अवसर बीत जाने पर फिर पछताने से क्या होता है) - श्यामू को सिगरेट पीने से कैंसर हो गया। उसके बाद वह अपने सिगरेट पीने पर अफसोस करता है तो रामू उसे कहता है कि समय चूकि पुनि का पछिताने । |
समय पाय तरुवर फले | निरंतर परिश्रम करने से सही समय पर सफलता अवश्य मिलती है) - सीमा ने अपनी नौकरी के लिए बहुत मेहनत कि क्योंकि उसके दादा जी ने उसे बोला था कि समय पाय तरुवर फले और आखिरकार उसकी नौकरी लग ही गई। |
सहज पके सो मीठा होय | समुचित समय लेकर किया जानेवाला कार्य अच्छा होता है) – मोहन ने सत्र के प्रारंभ से ही अपनी पढ़ाई की तरफ विशेष ध्यान दिया इसलिए उसने विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया। सच है कि सहज पके सो मीठा होय । |
साँप छछूदर की गति होना | दुविधा में पड़ना) - बदमाशों के अत्याचार सहना भी मुश्किल और पुलिस में शिकायत करने से भी समस्या हल नहीं होगी क्योंकि वे बाद में बदला लेंगे। यह तो साँप-छछूदर की गति जैसा है। |
साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे | बिना किसी नुकसान के लक्ष्य प्राप्त करना) - तुम कुछ इस तरह से उनसे रुपयों की वसूली करके लाना कि रुपए भी आ जाएँ और आगे के लिए संबंध भी खराब न हों। काम ऐसे करना चाहिए कि साँप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे । |
साझे की हाँडी चौराहे पर फूटती है | साझेदारी जब समाप्त होती है तो सबके सामने उजागर होती है) – संजय और विपुल में साझे की दुकान के बाबत झगड़ा हो गया तो सारा बाज़ार जान गया, सारा उधार डूब गया, किसी को लाभ नहीं हुआ। सच ही कहा है कि साझे की हाँडी चौराहे पर फूटती है। |
सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है | सुख-सुविधाओं में पैदा होनेवाले को दुनिया में कोई कष्ट नज़र नहीं आता) - संगीता तो अमीर घर में पैदा हुई है। उसने तो झट कह दिया कि इस बार छुट्टियों में दक्षिण घूमने जाएँगे और सबको दो-दो हज़ार रुपए देने पड़ेंगे। उसे मेरी परेशानी का पता नहीं। सावन के अंधे को हरा ही हरा दिखता है। |
सावन हरे न भादो सूखा | हमेशा एक जैसा रहना) - सतीश कितना भी पौष्टिक भोजन कर ले उसके शरीर पर खाया-पीया दिखाई ही नहीं देता, वह तो सावन हरे न भादो सूखा है। |
सूत न कपास, जुलाहे से लट्ठम लट्ठ | बिना आधार (कारण) किसी से झगड़ा करना) - आलोक ने तुम्हारा मोबाइल छुआ तक नहीं, वह तुम्हारे पास सुरक्षित है फिर भी आलोक से झगड़ा कर रहे हो। यह तो वही हुआ-सूत न कपास, जुलाहे से लट्ठम लट्ठ । |
सूरदास की काली कामरी चढ़े ने दूजो रंग | स्वभाव कभी बदलता नहीं, आदतें इतनी पक्की होती हैं कि वो बदलती नहीं) - सोहन की माँ उसे हमेशा चप्पल घर के बाहर उतारने को कहती है लेकिन फिर भी वह उन्हें अंदर तक पहनकर आता है। सूरदास की काली कामरी चढ़े ने दूजो रंग । |
सेर को सवा सेर | एक से बढ़कर एक) - सुरेश हमेशा कक्षा में अधिकतम अंक प्राप्त करता था और इस बात का उसे अभिमान था किंतु जब से लेखराज कक्षा में आया वह पिछड़ गया सच ही कहा है सेर को सवा सेर। |
हंसा था सो उड़ गया, कागा भया दीवान | भले लोगों के स्थान पर बुरे लोगों के हाथ में सत्ता (अधिकार) आना - मुग़ल सम्राट अकबर की मृत्यु के बाद सत्ता का परिवर्तन हुआ और सत्ता औरगंजेब के पास आ गई जो अत्याचारी शासक था। अतः यह कहा जा सकता है कि हंसा था सो उड़ गया, कागा भया दीवान । |
हज़ारों टाँकियाँ सहकर महादेव बनते हैं | कष्ट सहन करने से ही सम्मान मिलता है) - महात्मा गाँधी देश को आज़ादी दिलाने के लिए कई बार जेल में रहे, महीनों का उपवास किया और कष्ट सहा। सच है हज़ारों टॉकियाँ सहकर महादेव बनते हैं। |
हथेली पर सरसों नहीं उगता | प्रत्येक कार्य बिना एक प्रक्रिया और समय के पूर्ण नहीं होता) - टेलिविज़न बनाना सीखने में एक वर्ष का प्रशिक्षण चाहिए। आप यदि सोचते हैं कि दो महीने में सीख लेंगे तो यह संभव नहीं है। जनाब हथेली पर सरसों नहीं उगा करती। |
हाथ कंगन को आरसी क्या | प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं।) - जंगलों में इस समय भी लकड़ियाँ काटी जा रही हैं। आप हमारे साथ अभी चलिए और देख लीजिए। हाथ कंगन को आरसी क्या ? |
हाथी के दाँत दिखाने के और, खाने के और | कथनी और करनी में अंतर) – कुछ मंत्री अपनी संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करं देते हैं किंतु फिर अपने रिश्तेदारों के नाम सम्पत्ति इकट्ठी करते रहते हैं। सचमुच हाथी के दाँत दिखाने के और खाने के और होते हैं। |
होनहार बिरवान के होत चीकने पात | प्रतिभाशाली का प्रभाव स्वतः ही दिख जाता है) - सुभाषचंद्र बोस तो बचपन से ही विद्रोही थे। वे बचपन में ही अंग्रेज़ों को भारत से खदेड़ने का खेल खेलते थे। सही ही कहा है कि होनहार बिरवान के होत चीकने पात । |