संसाधन एवं विकास Class 10th Geography chapter 1 (RCSCE Question Bank 2024 Complete Solution)

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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

1. वह संसाधन जिन्हें भौतिक, रासायनिक या यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा पुनः उत्पन्न किया जा सकता है –

(अ) पवन ऊर्जा (ब) लौह अयस्क (स) धातु (द) कार्बनिक पदार्थ ( )

2. पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?

(अ) अधिक सिंचाई (ब) वनोन्मूलन (स) गहन खेती (द) अति पशुचारण ( )

3. कौनसे प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?

(अ) उत्तराखण्ड (ब) पंजाब (स) हरियाणा (द) उत्तरप्रदेश ( )

4. कौनसे राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से पाई जाती है?

(अ) राजस्थान (ब) जम्मू कश्मीर (स) झारखण्ड (द) गुजरात ( )

5. ज्वारीय ऊर्जा किस प्रकार का संसाधन है?

(अ) अजैव (ब) मानवकृत (स) अचक्रीय (द) पुनः पूर्तियोग्य ( )

6. लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?

(अ) नवीकरण योग्य (ब) जैव (स) प्रवाह (द) अनवीकरण योग्य ( )

7. भारत में राष्ट्रीय वन नीति (1952) द्वारा निर्धारित वनों के अन्तर्गत कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षैत्र वांछित

किये गये है?

(अ)  94% (ब)   54% (स)  33% (द)  20% ( )

8. पूर्वोत्तर और मध्य भारत में वनों की कटाई या निम्नीकरण का कारण है –

(अ) स्थानान्तरित खेती (ब) चरागाह (स) बाढ़ (द) औद्योगिक शहर ( )

उत्तर:- 1. अ, 2. अ, 3. अ, 4. द, 5. द, 6. द, 7. स, 8. अ

रिक्त स्थानों की पूर्ति  करो –

1. काली मृदाओं को ………………… रेगुर………………… मृदाएँ भी कहा जाता है। (रैगर)

2. संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए …………………………………… एक सर्व मान्यकरण नीति है। (नियोजन)

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न-

(i) नवीकरण योग्य-“नवीकरण संसाधन प्राकृतिक संसाधन होते हैं, जिनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है अथवा जिन्हें भौतिक, रासायनिक तथा यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत अथवा पुनः उत्पन्न किया जा सकता है।” सौर । ऊर्जा, पवन, जल, मृदा आदि ऊर्जा के कुछ नवीकरण योग्य संसाधन हैं।

संसाधन नियोजन एक तकनीक या संसाधनों के समुचित उपयोग का कौशल है। चूंकि संसाधन सीमित हैं और देश में असमान रूप से वितरित हैं, इसलिए उनकी योजना आवश्यक है। संसाधन नियोजन में तीन चरण शामिल हैं: (i) संसाधनों की सूची तैयार करना। संसाधन नियोजन संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के लिए एक रणनीति है।

विकास की स्थिति के आधार पर – संभाव्य, विकसित, स्टॉक और आरक्षित

सतत पोषणीय विकास का अर्थ है- ‘एक ऐसा विकास जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किए बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करना

काली मिट्टी कपास की खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है क्योंकि काली मिट्टी में अधिक समय तक नमी रहती है और इसमें प्रचुर मात्रा में ह्यूमस होता है।

बलुई मिट्टी काजू की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है

संसाधन का विवेकहीन उपभोग तथा अति उपयोग कई तरह के सामाजिक, आर्थिक तथा पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न कर देते हैं। अत: संसाधन का संरक्षण अति आवश्यक हो जाता है।

प्रथम अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी सम्मलेन रियो डी जेनेरो में 3 से 14 जून 1992 में हुआ था। इस सम्मेलन में 100 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया

सम्भावी संसाधन – वैसे संसाधन जो विद्यमान तो हैं परंतु उनके उपयोग की तकनीकि का सही विकास नहीं होने के कारण उनका उपयोग नहीं किया गया है, संभावी संसाधन कहलाते हैं।

भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि. मी.

मृदा अपरदन, जल – जमाव, रासायनिक उर्वरकों का अधिक से अधिक उपयोग, निर्वनीकरण, अत्यधिक पशु चारण, एकल फसल उत्पादन, नगरीकरण, मरुस्थल का विकास, औद्योगिक एवं खनन गतिविधियाँ आदि मृदा निम्नीकरण के कारण के प्रमुख कारण हैं।

मृदा अपरदन के कारण: वृक्षों का अविवेकपूर्ण कटाव, वानस्पतिक फैलाव का घटना

लैटेराइट मृदा आमतौर पर कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उड़ीसा और असम के पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है

लघुत्तरात्मक प्रश्न

(i) इनका रंग लाल और भूरा होता है। (ii) ये मृदाएँ आमतौर पर लवणीय होती हैं। (iii) शुष्क जलवायु तथा वनस्पति की कमी के कारण इस मृदा में जैव पदार्थों का कम प्रतिशत होता है। । (iv) यह मृदा क्षारीय होती है क्योंकि वर्षा की कमी के कारण घुलनशील नमक की मात्रा कम नहीं होती।

नवीकरणीय संसाधन समय के साथ ख़त्म नहीं हो सकते।समय के साथ ख़त्म हो जाते हैं।
नवीकरणीय संसाधनों में सूरज की रोशनी, पानी, हवा और भूतापीय स्रोत जैसे गर्म झरने और फ्यूमरोल्स शामिल हैंगैर-नवीकरणीय संसाधनों में कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधन शामिल हैं।
नवीकरणीय संसाधनों में कम कार्बन उत्सर्जन और कम कार्बन पदचिह्न होते हैंगैर-नवीकरणीय ऊर्जा में तुलनात्मक रूप से अधिक कार्बन पदचिह्न और कार्बन उत्सर्जन होता है।

(1) व्यक्तिगत संसाधन (ii) सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन (iii) राष्ट्रीय संसाधन (iv) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन

उत्पत्ति के आधार पर संसाधन दो प्रकार के होते है। जैव संसाधन , अजैव संसाधन

संसाधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है

(1) उत्पत्ति के आधार पर-जैव तथा अजैव ।

(ii) समाप्यता के आधार पर-नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य ।

(iii) स्वामित्व के आधार पर-व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ।

(iv) विकास के स्तर के आधार पर-संभावी, विकसित भंडार और संचित कोष।

पौधों, प्राणियों और छोटे पैमाने के जीवन रूपों के लिए प्राकृतिक वातावरण का प्रावधान भूमि संसाधन कहलाता है ।

भूमि निम्नीकरण-भूमि निम्नीकरण मानव प्रेरित या प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो किसी पारितन्त्र में भूमि को प्रभावशाली ढंग से कार्य करने की क्षमता को घटा देती है अर्थात् भूमि की जैविक अथवा आर्थिक उत्पादकता में कमी आ जाती है। फसलों का प्रति हैक्टेयर उत्पादन घट जाता है। किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। वनों और चरागाहों की उत्पादकता भी घट जाती है।

जलोढ़क से भरी मिट्टी को जलोढ़ मृदा या जलोढ़ मिट्टी कहा जाता है। जलोढ़ मिट्टी प्रायः विभिन्न प्रकार के पदार्थों से मिलकर बनी होती है जिसमें गाद (सिल्ट) तथा मृत्तिका के महीन कण तथा बालू तथा बजरी के अपेक्षाकृत बड़े कण भी होते हैं।

लाल और पीली मृदा राजस्थान के सिरोही, भीलवाड़ा, सवाई माधोपुर, अजमेर जिलों में पाई जाती है। लाल मिट्टी भारत में यह मिट्टी उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड से लेकर दक्षिण के प्रायद्वीप तक पायी जाती है।, पीली और लाल मृदाएँ ओडिशा तथा. छत्तीसगढ़ के कुछ भागों और मध्य गंगा के मैदान के. दक्षिणी भागों में पाई जाती है।

ढलान वाली भूमि पर समोच्च पठार के समानान्तर हल डी से लेकर ढलान के साथ जल बहाव की गति ऊंची है। इसे समोच्च जुताई कहा जाता है।

पहाड़ी क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव के लिए निम्नलिखित कदम उठाना चाहिए-

(i) सीढ़ीदार खेत-पहाड़ी ढालों पर एवं बंजर भूमि में वृक्षारोपण करना चाहिए।

(ii) सीढ़ीदार खेत-पहाड़ी क्षेत्रों में एवं ढलानों पर सीढ़ीनुमा खेती करनी चाहिए।

(iii) बाँध निर्माण-बाँध बनाकर अवनालिका अपरदन को रोका जा सकता है।

(iv) पशुचारण पर नियंत्रण-पशुओं द्वारा अतिचराई को नियंत्रित कर भूसंरक्षण किया जाता है।

जैव संसाधन- इन संसाधनों की प्राप्ति जीवमंडल से होती है और इनमे जीवन व्याप्त होता है, उदाहरण- मनुष्य, वनस्पतिजात, मत्स्य जीवन, पशुधन आदि। अजैव संसाधन- वे सारे संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने है। ये दो प्रकार के होते है समाप्य और असमाप्य l उदाहरण- चट्टानें और धातुएँ।

लघुत्तरात्मक प्रश्न-

काली मृदा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। काली मृदा पर मुख्य रूप से कपास की फसल उगाई जाती है।

पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं (कृष्णा, कावेरी, महानदी, गोदावरी) नदियों में जलोढ़ मृदा पाई जाती है। (i) जलोढ़ मृदा नदियों द्वारा लाये गए अवसाद(रेत,सिल्ट, मृतिका) से निर्मित होती है। अतः यह बहुत उपजाऊ होती है। (ii) मृदाओं की पहचान उनकी आयु से भी होती है। ये पोटाश और चुने से बनी होती हैं ।

एजेंडा 21 संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के संगठनों, सरकारों और प्रमुख समूहों द्वारा विश्व स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर और स्थानीय स्तर पर की जाने वाली कार्रवाई की एक व्यापक योजना है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र में मानव पर्यावरण को प्रभावित करता है।

वनारोपण करके, चरागाहों के उचित प्रबंधन तथा पशुचारण नियंत्रण से, पेड़ों की रक्षक मेखला बना कर मिट्टी का वायु तथा जल से अपरदन रोका जा सकता है, रेतीले टीलों को काँटेदार झाड़ियाँ लगाकर स्थिर बनाकर, जैविक कृषि को बढ़ावा, वैज्ञानिक कृषि को प्रोत्साहन, मृदा अम्लीकरण को रोकना,बंजर भूमि के उचित प्रबंधन आदि

संसाधन नियोजन संसाधनों के सही तथा विवेकपूर्ण उपयोग की तकनीक अथवा कौशल है। संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित सोपान हैं

(i) देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना। इस कार्य में क्षेत्रीय सर्वेक्षण, मानचित्र बनाना और संसाधनों का गुणात्मक और मात्रात्मक अनुमान लगाना व मापन करना है।

(ii) संसाधन विकास योजनाएं लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल और संस्थागत नियोजन ढाँचा तैयार करना ।

(iii) संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजना में समन्वय स्थापित करना।

शुद्ध बोये गये क्षेत्र- भूमि जिस पर फसल उगाई और काटी जाती हैं , कुल बोया गया – इसमे एक बार से अधिक बार बोए गए क्षेत्रफल को उतनी ही बार जोड़ा जाता हैं , जितनी बार उस पर फसल उगाई जाती हैं , और इस तरह शुद्ध बोए गए क्षेत्र से अधिक सकल (कुल)बोया गया क्षेत्र होता हैं ।

गाँधीजी ने संसाधनों के संरक्षण पर अपनी चिंता इन शब्दों में व्यक्त की है-“हमारे पास हर व्यक्ति की आवश्यकता पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन किसी के लालच की संतुष्टि के लिए नहीं।” उनके अनुसार विश्व स्तर पर संसाधन हास के लिए लालची और स्वार्थी व्यक्ति तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी की शोषणात्मक प्रवृत्ति जिम्मेदार है।

यह नदियों द्वारा लायी गयी मिट्टी है. इस मिट्टी में पोटाश की बहुलता होती है, लेकिन नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और ह्यूमस की कमी होती है. पुरानी जलोढ़ मिट्टी को बांगर और नयी जलोढ़ मिट्टी को खादर कहा जाता है.

(i) नवीकरण योग्य-“नवीकरण संसाधन प्राकृतिक संसाधन होते हैं, जिनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है अथवा जिन्हें भौतिक, रासायनिक तथा यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा नवीकृत अथवा पुनः उत्पन्न किया जा सकता है।” सौर । ऊर्जा, पवन, जल, मृदा आदि ऊर्जा के कुछ नवीकरण योग्य संसाधन हैं।

(ii) अनवीकरण योग्य संसाधन-“अनवीकरण योग्य संसाधन प्राकृतिक संसाधन होते हैं, जिन्हें थोड़े समय में पुनः उत्पन्न नहीं किया जा सकता।” जीवाश्म ईंधन जैसे कि तेल, गैस तथा कोयला अनवीकरण योग्य संसाधनों के उदाहरण हैं। इनके बनने में लाखों वर्ष लग जाते हैं। इन्हें अनवीकरण योग्य संसाधन कहा जाता है क्योंकि एक बार प्रयोग करने पर ये सदा के लिए समाप्त हो जाते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जीवाश्म ईंधनों के भंडार केवल एक या दो शताब्दियों तक के लिए हैं।

क्योटो प्रोटोकॉल भूमंडलीय ताप वृद्धि को रोकने के लिए , 1989 में केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम को संशोधित किया गया, 1991 में पहली बार वाहन निर्माताओं के लिए उत्सर्जन संबंधी मानदंड, जैसे—युरो-I (Euro-I) लागू किया गया।, 2000 में फिर संशोधित कर युरो-II (Euro-II) लागू किया गया

निबन्धात्मक प्रश्न

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